बहराइच 02 मई। बालिका युवती जिसने अपनी आयु 18 वर्ष पूर्ण न की हो एवं कोई भी बालक/युवा जिसने अपनी आयु 21 वर्ष पूर्ण न की हो, का विवाह कराया जाना कानूनन प्रतिबन्धित है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अन्तर्गत बाल विवाह एक दण्डनीय अपराध है तथा बाल विवाह में प्रतिभाग करने वाले व्यक्तियों पर भी कानूनी कार्यवाही का प्राविधान किया गया है।
यह जानकारी देते हुए जिला प्रोबेशन अधिकारी वी.पी. वर्मा ने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्राविधानों के अन्तर्गत बाल विवाह करने वाले पुरूष वयस्क के लिए जिसमें बाल विवाह का अनुष्ठान करने वाले व्यक्तियों के लिए 02 वर्ष के कठोर कारावास या 01 लाख रूपये तक के जुर्माने का प्राविधान है। यूनीसेफ के द्वारा हाल ही में किए गये एक सर्वेक्षण से विदित हुआ है कि जनपद बहराइच में बाल विवाह की घटनायें हो रही हंै। बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है जिसका शारीरिक एवं मानसिक रूप से गम्भीर दुष्प्रभाव पड़ता है।
श्री वर्मा ने बताया कि अक्षय तृतीया (आखा तीज) के अवसर पर बाल विवाह करने की रूढ़िवादी परम्परा समाज में प्रचलित रही है। वर्ष 2019 में अक्षय तृतीया 07 मई 2019 को पड़ रही है। शासन स्तर से बाल विवाह की रोकथाम हेतु जनपद में विभिन्न प्रकार के जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने के निर्देश प्राप्त हुए हैं। बाल विवाह कराने में सम्मिलित व्यक्तियों के विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री वर्मा ने जनपद के सभी सम्मानित व्यक्तियों, वैवाहिक आयोजन कराने वाले प्रिन्टिंग प्रेस, टेण्ट व्यवसायी, मैरिज हाल, बैण्ड बाजा, कैटरर्स, फोटोग्राफर्स, पुरोहित/मौलवी इत्यादि व्यक्तियों एवं संस्थाओं से यह अपेक्षा की गयी है कि वैवाहिक आयोजन कराने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि वधू की आयु 18 वर्ष एवं वर की आयु 21 वर्ष से कम न हो। उन्होंने सभी सम्बन्धित से यह भी अपील की है कि यदि बाल विवाह से सम्बन्धित कोई प्रकरण उनके संज्ञान में आता है तो प्रकरण के सम्बंध में तत्काल, 100 नम्बर, 181 नम्बर या स्थानीय पुलिस स्टेशन/चैकी को सूचित कर दें, जिससे बाल विवाह को रोका जा सके।
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