उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनकी मुख्य रणनीति भाजपा को हराना है। उन्होंने कहा, हमारी इच्छा थी कि सपा, बसपा और रालोद के साथ गठबंधन हो, पर वे तैयार नहीं हुए। फिर भी हम अपनी मुख्य रणनीति पर कायम हैं। क्या प्रियंका गांधी वाड्रा वाराणसी से चुनाव लड़ेंगी? इस पर उन्होंने कहा, इस बारे में राहुल गांधी जी बोल चुके हैं कि सस्पेंस को सस्पेंस ही बना रहने दीजिए। फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व को ही लेना है। राजनेताओं के बयानों को लेकर चुनाव आयोग की पाबंदी पर बोले, मायावती ने क्या कहा, मैंने सुना नहीं, लेकिन योगीजी ने केसरिया चोला पहनकर जिस तरह की बातें कीं, वो शोभा नहीं देतीं। जया प्रदा के बारे में सपा नेता आजम खां के बयान पर कहा, उन्होंने जया प्रदा के लिए जिस तरह के शब्द प्रयोग किए, उससे बहुत दुख पहुंचा है। प्रस्तुत है राज बब्बर से अजीत बिसारिया की बातचीत के प्रमुख अंश हमारी मुख्य रणनीति भाजपा को हराना है। यह भी तय है कि केंद्र में कांग्रेस के बिना सरकार नहीं बनेगी। ऐसा किसी घमंड से नहीं, बल्कि कांग्रेस पर लोगों के भरोसे की वजह से कह रहा हूं। जीतने वाले अपने प्रत्याशियों की फिलहाल गिनती नहीं बता पाऊंगा। पहले ही कह चुका हूं कि हमारा टार्गेट भाजपा है। हमने ऐसी रणनीति बनाई है कि भाजपा हारे। इसका मतलब जहां कांग्रेस प्रत्याशी कमजोर हैं, वहां वे भाजपा के वोट काट रहे हैं? अपनी बात मैं कह चुका। मेरे शब्दों की आप (संवाददाता) और पाठक जो उचित समझें, व्याख्या कर लें। 'भाजपा विरोधी शक्तियों को राहुल गांधी ने एक करने की पूरी कोशिश की, पर बात नहीं बनी' कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूरे प्रयास किए कि भाजपा विरोधी शक्तियां एक हो जाएं, लेकिन बात नहीं बन सकी। राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि कांग्रेस को यूपी में अधिकतम 10 सीटें मिलेंगी? (हंसते हुए) अभी तक लोग हमें प्रदेश में दो ही सीटें दे रहे थे। पहले दो चरण के बाद उन्होंने हमारी गिनती बढ़ा दी है। सातवां चरण आते-आते वे ही बता देंगे कि हम यहां वर्ष 2009 से भी अच्छी स्थिति में रहेंगे। कार्यकर्ता उत्साह में हैं। शीर्ष नेतृत्व आम कार्यकर्ता से मिलता है तो उसका जोश दोगुना हो जाता है। कार्यकर्ता चाहते हैं कि प्रियंका सक्रिय चुनावी राजनीति में भी आएं। मुझे नहीं मालूम, राहुल जी ने क्या कहा और सुप्रीम कोर्ट ने उसका क्या संज्ञान लिया। वजनदार प्रत्याशी देना भी एक मजबूरी होती है। पिछली बार भाजपा ने भी बड़ी संख्या में दूसरे दलों के नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस का बीएमटी (ब्राह्मण, मुसलमान, ठाकुर) फैक्टर कितना कारगर साबित हो रहा है? कांग्रेस का इतिहास सभी को साथ लेकर चलने का रहा है। मैं उसे बीएमडब्ल्यू फैक्टर कहना ज्यादा उचित मानता हूं। यानी, ब्राह्मण, मुसलमान और वीकर सेक्शन (कमजोर वर्ग)। कमजोर वर्ग के तहत अनुसूचित जाति, पिछड़े व गरीब सभी आ जाते हैं। कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी ज्यादा उतारे हैं, इसलिए अब ब्राह्मणों को भी अपनी पुरानी पार्टी में वापस आ जाना चाहिए। नतीजे बता देंगे कि बीएमडब्ल्यू फैक्टर ही प्रभावी रहा। आपकी पार्टी के कुछ नेताओं पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने पैसे लेकर टिकट दिलवाने की पैरवी की। जिसका टिकट कटता है, वे ऐसे आरोप लगाते हैं। अगर पुख्ता सुबूत के साथ मामला सामने आएगा तो कठोर कार्रवाई होगी।
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