पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अब ताजा मामला पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा की अध्यक्ष लॉकेट चटर्जी के घर पर हमले का है. भारतीय जनता पार्टी ने लॉकेट चटर्जी को पश्चिम बंगाल के हुगली लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में भी उतारा है. लॉकेट चटर्जी ने इस हमले के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया, 'गुरुवार दोपहर बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) के गुडों ने हुगली स्थित मेरे घर पर हमला किया. वो बीजेपी के समर्थन से परेशान हैं. मुझे बीजेपी का समर्थन करने से कोई रोक नहीं सकता है. कायरतापूर्ण हमले भी मुझको इससे नहीं रोक सकते हैं. मैं आने वाले दिनों में खूब चुनाव प्रचार करूंगी.' हुगली लोकसभा सीट में पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होना है. इसके बाद 23 मई को चुनाव के नतीजे सामने आएंगे. इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हुगली सीट से तृणमूल कांग्रेस के डॉक्टर रत्ना डे ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी और सीपीएम के प्रदीप साहा को करारी शिकस्त दी थी. पिछले लोकसभा चुनाव में डॉक्टर रत्ना डे को 6 लाख 14 हजार 312 वोट मिले थे, जबकि सीपीएम के प्रदीप साहा को 4 लाख 25 हजार 228 वोटों से संतोष करना पड़ा था. साल 2014 के चुनाव में कुल 82.88 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि साल 2009 में 82.71 फीसदी वोटिंग हुई थी. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के दमदम लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी समिक भट्टाचार्य के कार्यालय पर भी तोड़फोड़ की गई. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले किए गए. इसमें घायल बीजेपी के नेता चांडी चरण राय को अस्पताल में भर्ता कराया गया है. पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर लगातार पिछले कुछ समय से हमले हो रहे हैं. हालिया पंचायत चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर हमले देखने को मिले थे. इन हमलों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने सूबे की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया था. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के नोडल चुनाव अधिकारी अर्णब राय के लापता होने को लेकर बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ममता सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर पूछा, 'पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के नोडल चुनाव अधिकारी अर्णब राय कहां गायब हो गए? ये राजनीतिक अपहरण है, साजिश है या हादसा? जो भी है पश्चिम बंगाल सरकार के सामने एक सवाल है.'
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