कानपुर-बुंदेलखंड की कन्नौज लोक सभा सीट पर कई दशक से समाजवादियों का कब्ज़ा रहा है. लेकिन बीजेपी इस सीट को हासिल कर सपा पर दबाव बनाना चाहती है. यह बात और भी दिलचस्प हो जाती है जब कन्नौज लोकसभा सीट से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हों. बता दें कि बीते 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद डिम्पल यादव ने वहां जीत दर्ज की थी. कहा जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव डिम्पल यादव नहीं लड़ेगी और वो कन्नौज का प्रचार प्रसार का काम देखेंगी. अखिलेश यादव भी खुद इस बात को कह चुके हैं. उत्तर प्रदेश का जिला कन्नौज जहां इत्र की खुश्बू वहां के वातावरण में महसूस की जा सकती है. कन्नौज हमेशा से समाजवादियों के दिल में बसता रहा है. वर्तमान में अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव कन्नौज से सांसद हैं. वहीं बीजेपी हर हाल में कन्नौज की सीट जीतना चाहती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 09 सीटों पर भगवा लहराया था. लेकिन बीजेपी कन्नौज की सीट पर भगवा लहराने में कामयाब नहीं हो सकी थी. डिम्पल यादव ने कन्नौज से सपा की यह सीट बचा ली थी.2017 में हुए विधानसभा चुनाव में आए परिणाम के बाद एक बार बीजेपी के अन्दर इस बात की आस फिर से जगी है कि कन्नौज की लोक सभा सीट जीती जा सकती है. इसके पीछे वजह ये है कि कन्नौज की तीन विधानसभा सीटों में से दो सीटों पर बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. कन्नौज की सदर विधानसभा से सपा के अनिल दोहरे ने जीत हासिल की थी, छिबरामाऊ से बीजेपी की अर्चना पाण्डेय और तिर्वा विधानसभा से बीजेपी के कैलाश राजपूत ने जीत हासिल की थी. बीजेपी में इसी बात को लेकर उत्साह है कि वो कन्नौज लोकसभा सीट को भी जीत सकते हैं. सपाईयों के इस गढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी जनसभा कर सकते हैं, कन्नौज की जनता को अपने पक्ष में करने के पूरे प्रयास बीजेपी की तरफ से किए जा रहे हैं.समाजवादी पार्टी से मिली जानकारी के मुताबिक़ मुलायम सिंह यादव इस बार मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगे. इस बात का एलान अखिलेश यादव ने पिछले ही साल किया था. लखनऊ में पार्टी ऑफ़िस में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने ख़ुद कन्नौज से चुनाव लड़ने के फ़ैसले की जानकारी दी थी. अभी उनकी पत्नी डिंपल यादव वहां से सांसद हैं. अखिलेश कई बार कह चुके हैं कि डिंपल अब चुनाव नहीं लड़ेंगी.
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