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Saturday, February 8, 2025 3:24:01 AM

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भ्रष्ट गन्ना अधिकारी पर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही?फर्जी नौकरी करने का लगा आरोप 

भ्रष्ट गन्ना अधिकारी पर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही?फर्जी नौकरी करने का लगा आरोप 
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार डी0पी0श्रीवास्तव की रिपोर्ट

बहराइच। गत दिनों श्रावस्ती किसान सहकारी चीनी मिल लिo नानपारा का एक ऐसा मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा जहां एक मिल कर्मी को मिल के प्रबंधक द्वारा ही बंधक बना लिया गया था। जिसमे युवक के घंटों बंधक बने रहने व पुलिस के सहयोग से आजाद होने के बाद उसके द्वारा अपनी असुरच्छा व मामले की गंभीरता को देखते हुवे एक तहरीर थाने स्तर पर देने के बाद पुलिस अधीक्षक के चौखट पर भी स्वतः उपस्थित होकर हाजिरी लगाई गई।
मामले की गंभीरता को देखते हुवे मिल प्रबंधक के ऊपर सम्बंधित थाने में एफआईआर भी दर्ज हुई। लेकिन इसी मिल से सम्बंधित एक और अधिकारी का जो मामला उभर कर सामनेआया है वह भी कम चौकाने वाला नहीं है।
जहाँ एक दैनिक वेतन भोगी को सीधे गन्ना विकास निरीक्षक बना दिया जाता है। और बार-बार एक ही स्थान पर रहते हुए मिल कर्मियों को प्रताड़ित करने के साथ-साथ इन पर फर्जी नौकरी किए जाने के आरोप भी लगाए गये हैं।
अगर प्राप्त दस्तावेजों व पिछले कुछ शिकायती पत्रों पर गौर किया जाए तो नानपारा चीनी मिल में बतौर मुख्य गन्ना अधिकारी के पद पर कार्य कर रहे संजय सिंह पर मिल के ही एक डेली गेट द्वारा पूर्व में आरोप लगाया गया था कि संजय सिंह पहले गन्ना आयुक्त कार्यालय लखनऊ में दिनांक 11.12.1996 से 09.03.1997 तक कुल 89 दिनो तक दैनिक वेतन भोगी तदर्थ पत्रकार के रूप में नौकरी की थी। जो कि फर्जी धोखाधड़ी व फ़र्ज़ी प्रमाण पत्रों के सहारे सीधे गन्ना विकास निरीक्षक बन गए।
जबकि गन्ना आयुक्त उत्तर प्रदेश लखनऊ का कहना था कि श्री सिंह उनके कार्यालय में कभी तैनात रहे ही नहीं वैसे भी नियमानुसार 90 दिनो तक लगातार किसी पद पर कार्य करने पर ही किसी व्यक्ति को उस पद पर स्थाई किया जा सकता है फिर आखिर किन परिस्थितियों में श्री सिंह को नियमों की अनदेखी कर सीधे गन्ना विकास निरीक्षक पद पर नियुक्त कर दिया गया। डेलीगेट द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि श्री सिंह के अत्यंत नजदीकी रिश्तेदार अजय सिंह जो कि सचिवालय में सचिव थे उन्हीं के मिलीभगत व धोखाधड़ी से श्री सिंह को दिनांक 30. 08.1997 को चीनी मिल संघ कार्यालय में आन डिप्रेशन सीडीआई (गन्ना विकास निरीक्षक) पद पर संपूर्णा नगर- खीरी चीनी मिल पर भेज दिया गया, जबकि उस समय रिजर्व कोटे सहित 103 ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक श्री सिंह से सीनियर बैठे थे। श्री सिंह पर यह भी आरोप लगाया गया कि गन्ना आयुक्त के पत्र दिनांक 18.09. 1997 द्वारा संघ कार्यालय हेतु मुक्त कर दिया गया और उसी तिथि से वह 1 दिन भी कार्यालय में तैनात नहीं रहे।
फल स्वरूप उनका सेवायोजन दिनांक 18.0 9. 1997 से कार्य न करने के कारण समाप्त कर दिया गया। साथ ही दिनांक 17. 09.1999 पत्र संख्या 939 द्वारा उन्हें मूल विभाग में प्रत्यावर्ती करने के आदेश के साथ ही इन्हें गजरौला चीनी मिल से उसी तिथि को कार्यमुक्त कर दिया गया। लेकिन श्री सिंह ने पुनः अपने सचिव रिश्तेदार अजय सिंह पर अनुचित प्रभाव डाल कर प्रत्यावेदन दिनांक 30. 03.2000 तक रुकवा दिया गया और आदेश हुआ कि वे स्वतः मूल विभाग में प्रत्यावर्तित हो जाएंगे जो निष्प्रभावी हो गया।
और संजय सिंह एक बार फिर अपने सचिव रिश्तेदार के प्रभाव से दिनांक 01.o9.2000 को किसान सहकारी चीनी मिल नानपारा जनपद बहराइच में एस0सी0डी0आई0 के पद पर स्थानांतरित कराने मैं सफल हो गए। डेलीगेट द्वारा यह भी आरोप लगाया गया कि नानपारा चीनी मिल पूर्व सचिव अजय सिंह के गृह जनपद में होने के नाते व उनका लोकल वर्चस्व पाकर संजय सिंह तत्कालीन एस0सी0डी0आई0 वर्तमान में गन्ना अधिकारी व अब मुख्य गन्ना अधिकारी के पद पर बैठे हैं तथा लगभग 26,27 वर्षों से कृषकों, फील्ड स्टाफ एवं कर्मचारियों से धन उगाही करने में लगे हैं। यदि बीच में इनका कहीं स्थानांतरण हुआ तो फिर वह इसी चीनी मिल में आ जाते। डेलीगेट द्वारा यह भी आरोप लगाया गया कि इससे त्रस्त होकर चीनी मिल संघ के पूर्व संचालक इंद्रपाल सिंह ने भी अपने पत्र दिनांक 13.0 8. 2004 द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री व प्रबंधक निदेशक से संजय सिंह को निलंबित कर जांच किए जाने की मांग की गई थी।
डेलीगेट का यह भी आरोप था कि श्री सिंह कृषकों द्वारा नए सदस्य बनाने में 30% चैनमैंन में 30% व क्रय केंद्रों और झुग्गी झोपड़ी बनवाने में भी कमीशन लेने के साथ तौल लिपिको द्वारा अन्य उपयुक्त प्रजाति की जगह सामान्य प्रजाति की पर्चियां बनवा कर भी इनके द्वारा कमीशन लिया जाता था। इन पर कृषकों से सीधे लेनदेन करने के आरोप लगाए जाने के साथ बैलगाड़ी कोटे पर पूरे वर्ष दूसरे व्यक्ति द्वारा गन्ना खरीद करवाकर भी कमीशन लेने का आरोप लगाया जा रहा है।
श्री सिंह पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने फर्जी व धोखाधड़ी का तरीका अपनाकर सैकड़ों कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए एस0सी0डी0आई0 बन गए और संघ कार्यालय से गन्ना अधिकारी के स्केल की मांग करते रहे, जिसे न्याय संगत नहीं कहा जा सकता। अगर यह कोई कंपटीशन बीट कर या किसी परीक्षा को पास कर उक्त पद पर नियुक्त किए गए हैं तो वे अपना नियुक्त पत्र क्यों नहीं दिखा रहे? जबकि संजय सिंह को अभी सैकड़ों कर्मचारियों से जूनियर माना जाता है। क्योंकि संघ के नियमानुसार सी0डी0आई0 के पद पर 10 वर्षों की सेवा पूर्ण करने के पश्चात ही एससीडीआई बनाया जा सकता है। फिर इन्हें एससीडीआई बनाने में इतनी जल्दबाजी आखिर किन कारणों से की गई। अभी तक संजय सिंह के खिलाफ पूर्व में सचिव चीनी उद्योग, गन्ना विकास उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ, मुख्यमंत्री उ0प्र0 शासन लखनऊ, विधि सलाहकार उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ लखनऊ व राज्यपाल उ0प्र0 सहित कई अन्य को शिकायती पत्र भेजे जाने के बाद भी यह भ्रष्टाचारी अब मिल के जनरल मैनेजर के पद पर सुशोभित होने की उम्मीद लगाए बैठा है।
सूत्र यहां तक बताते हैं कि जांच में संजय सिंह 89 दिन केन कमिश्नर कार्यालय में बतौर लेबर कार्यरत थे लेकिन जब वहां से भी एक आर0टी0आई0 के जवाब में लिख गया कि यह हमारे यहां कभी कार्यरत थे ही नहीं तो फिर यह कहां से आए। और वैसे भी जब कोई किसी विभाग में कार्यरत होता है तो ही उसे दूसरी जगह पदोन्नति कर भेजा जाता है और जब यह कहीं तैनात ही नहीं थे तो यह आए कहां से?यह तो फर्जी तरीके से कार्य कर रहे हैं। इनसे तो अब तक लिए गए वेतन की रिकवरी होनी चाहिए। बताया यहां तक जाता है कि जब यह नानपारा आए तो जहां गन्ना विकास निरीक्षक लिखा था वहां इंक्लूड लगाकर ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक बन बैठा जबकि वेतन भी इनको कम ही मिलता था लेकिन धीरे-धीरे अपने सचिव रिश्तेदार की मदद से सब कुछ अपने पक्ष में करवाने में कामयाब होते रहे। फ़िलहाल मामला जो भी हो सच्चाई तो जांच के बाद ही उजागर होगी।
उपरोक्त संदर्भित प्रकरण के सन्दर्भ में जब नानपारा चीनी मिल के जी0एम्0 से बात की गई तो उन्होंने कहा ऐसा कोई भी मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। जबकि कई बार फोन करने व मैसेज भेजने के बाद भी संजय सिंह से कोई बात नहीं हो सकी।

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