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Saturday, April 19, 2025 7:20:05 PM

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चार राज्यों में शुरू है ED की छापेमारी,जाँच की आंच फस सकते है अखिलेश 

चार राज्यों में शुरू है ED की छापेमारी,जाँच की आंच फस सकते है अखिलेश 

लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार, देश के चार राज्यों यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में ये छापेमारी चल रही है. इसमें सिंचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों और गैमन इंडिया कंपनी के अधिकारियों के 8 ठिकानों पर छापा पड़ा है.लखनऊ में जहां ईडी की टीमों ने गोमती नगर के विशाल खण्ड और राजाजीपुरम इलाके में छापेमारी शुरू की है. जानकारी के अनुसार, गोमती नगर के विशालखंड के मकान नंबर 3/332 में इस समय छापेमारी चल रही है. इस दौरान इंजीनियरों और ठेकेदारों के घर को खंगाला जा रहा है. उधर राजस्थान के भिवाड़ी में ईडी की छापेमारी जारी है. यही नहीं हरियाणा के गुरुग्राम, नोएडा के सेक्टर-62 स्थित आईथम टॉवर में छापेमारी की सूचना है.बता दें, पिछले साल ही गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के आरोपी इंजीनियरों की संपत्तियों की प्रवर्तन निदेशाल (ईडी) द्वारा जांच शुरू की गई थी. ईडी को आशंका है कि गोमती रिवर फ्रंट निर्माण से जुड़े इंजीनियरों ने करोड़ों की अवैध चल-अचल संपत्ति अर्जित की है. जिसके बाद अब इन आरोपी इंजीनियरों के खिलाफ मनीलांड्रिग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर, इनकी एक-एक सम्पत्तियों की जांच शुरू कर दी गई है.गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच की आंच अब आरोपी इंजीनियरों की जुटाई गई अकूत संपत्तियों पर आती दिख रही है. प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपी इंजीनियरों की अचल संपत्तियों की जांच शुरू करते हुए तत्कालीन गोमती रिवर फ्रंट से जुड़े अधीक्षण अभियन्ता शिवमंगल सिंह यादव और चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग और उनकी पत्नी मधुबाला गर्ग, पुत्र तनुज गर्ग के साथ पुत्र वधु स्वाति तनुज गर्ग के हाउस, फ्लैट, कामर्शियल लैंड और अन्य जमीनों का ब्योरा आईजी स्टाम्प से मांगा था. जिसके बाद आईजी स्टाम्प सीताराम यादव ने उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के एआईजी स्टाम्प से आरोपी इंजीनियर और उनके परिजनों की संपत्तियों का ब्योरा तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश जारी कर दिया था.गौरतलब है कि योगी सरकार ने पूर्व सपा सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले का आरोप लगाते हुए जांच शुरू की थी. दरअसल, 1513 करोड़ की परियोजना में 1437 करोड़ रुपया खर्च होने के बावजूद भी काम 65 फीसदी ही पूरा किया गया. जबकि परियोजना की 95 फीसदी रकम निकाल ली गई थी. जिसमें सरकार ने मई 2017 में रिटायर्ड जज अलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग से जांच कराई. जांच रिपोर्ट के आधार सरकार ने सीबीआई जांच की मांग की.

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