Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, March 15, 2025 5:06:16 PM

वीडियो देखें

मुझे प्रार्थना का अधिकार है, लेकिन अपमान का अधिकार नहीं, क्या खून से सने सेनटरी नैपकिन के साथ दोस्त के घर जा सकते हैं? :स्मृति ईरानी

मुझे प्रार्थना का अधिकार है, लेकिन अपमान का अधिकार नहीं, क्या खून से सने सेनटरी नैपकिन के साथ दोस्त के घर जा सकते हैं? :स्मृति ईरानी

केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर का द्वार महिलाओं की एंट्री के बगैर बंद हो चुका है. बीजेपी, आरएसएस, मंदिर प्रशासन और स्थानीय संगठन महिलाओं की एंट्री का विरोध कर रहे हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर बड़ा बयान दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या खून से सने सेनटरी नैपकिन के साथ दोस्त के घर जा सकते हैं? तो भगवान के घर क्यों जाना चाहती हैं?
केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, ”मुझे प्रार्थना का अधिकार है, लेकिन अपमान का अधिकार नहीं है. केंद्रीय मंत्री होने के नाते मुझे सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. क्या खून से सने सेनटरी नैपकिन के साथ दोस्त के घर जा सकते हैं? नहीं. तो भगवान के घर क्यों जाना चाहती हैं?”बीजेपी नेता ईरानी ने इस बयान पर विवाद के बाद कहा कि यह फेक न्यूज़ है. उन्होंने कहा कि जल्द ही मैं पूरे बयान का वीडियो शेयर करूंगी.आपको बता दें कि 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला के अयप्पा मंदिर को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था और कहा था कि मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए. संवैधानिक पीठ ने कहा था कि 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने देना उनके मूलभूत अधिकार और संविधान की ओर से बराबरी के अधिकार की गारंटी का उल्लंघन है. लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.इससे पहले मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक थी. मंदिर प्रशासन का कहना है कि प्रतिबंध का मुख्य कारण ये है कि मासिक धर्म के समय महिलाएं शुद्धता बनाए नहीं रख सकतीं हैं.सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 18 अक्टूबर को मंदिर के द्वार खुले थे और 22 अक्टूबर को बंद हुए थे. इस दौरान महिलाओं की एंट्री के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हुए. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कई बार लाठीचार्ज तक करना पड़ा. कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की.

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *