केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर का द्वार महिलाओं की एंट्री के बगैर बंद हो चुका है. बीजेपी, आरएसएस, मंदिर प्रशासन और स्थानीय संगठन महिलाओं की एंट्री का विरोध कर रहे हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री को लेकर बड़ा बयान दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या खून से सने सेनटरी नैपकिन के साथ दोस्त के घर जा सकते हैं? तो भगवान के घर क्यों जाना चाहती हैं?
केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, ”मुझे प्रार्थना का अधिकार है, लेकिन अपमान का अधिकार नहीं है. केंद्रीय मंत्री होने के नाते मुझे सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. क्या खून से सने सेनटरी नैपकिन के साथ दोस्त के घर जा सकते हैं? नहीं. तो भगवान के घर क्यों जाना चाहती हैं?”बीजेपी नेता ईरानी ने इस बयान पर विवाद के बाद कहा कि यह फेक न्यूज़ है. उन्होंने कहा कि जल्द ही मैं पूरे बयान का वीडियो शेयर करूंगी.आपको बता दें कि 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला के अयप्पा मंदिर को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था और कहा था कि मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी जाए. संवैधानिक पीठ ने कहा था कि 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करने देना उनके मूलभूत अधिकार और संविधान की ओर से बराबरी के अधिकार की गारंटी का उल्लंघन है. लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है.इससे पहले मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक थी. मंदिर प्रशासन का कहना है कि प्रतिबंध का मुख्य कारण ये है कि मासिक धर्म के समय महिलाएं शुद्धता बनाए नहीं रख सकतीं हैं.सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 18 अक्टूबर को मंदिर के द्वार खुले थे और 22 अक्टूबर को बंद हुए थे. इस दौरान महिलाओं की एंट्री के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हुए. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को कई बार लाठीचार्ज तक करना पड़ा. कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की.
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