कर्नाटक में सरकार बनाने के मुद्दे पर जारी रस्साकशी के बीच राजद ने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने राज्यपाल से मिलकर कर्नाटक की तर्ज पर बिहार में भी सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका देने की अपील की। कहा कि मौका मिलने पर सदन में बहुमत सिद्ध कर देंगे। पार्टी ने कर्नाटक के मुद्दे पर शुक्रवार को राजधानी सहित पूरे बिहार में धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया है। इस बाबत नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आवास पर बैठक भी हुई। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के तीनों घटक दल राजद, कांग्रेस एवं हम के विधायक सबसे पहले एक बजे राजभवन पहुंचे। उनके साथ बिहार कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कौकब कादरी भी रहे। सबने यहां राज्यपाल से मुलाकात कर अपील किया कि जिस तरह कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिया गया, उसी तरह बिहार में भी एेसा मौका दिया जाये। राजभवन से निकलने के बाद सभी राज्यव्यापी धरना में शामिल हुए। इस मौके पर तेजस्वी ने कहा कि हम राज्यपाल महोदय से मिले और सरकार बनाने का दावा पेश किया। हमारे पास कई पार्टियों के विधायकों का समर्थन है। हमारी मांग पर राज्यपाल ने कहा कि मैं आपकी मांगों पर विचार-विमर्श करूंगा और फिस इस पर फैसला किया जायेगा। उसके बाद तेजस्वी ने दावा किया कि हम आसानी से फ्लोर टेस्ट पास कर लेंगे। तेजस्वी ने कहा कि हमारे साथ राजद, कांग्रेस, हम, माले के विधायक तो हैं ही, जदयू के भी कई विधायक हमारे संपर्क में हैं। पहले भी शरद यादव, उदय नारायण चौधरी जैसे कई नेता नीतीश कुमार की कार्यप्रणाली से नाराज होकर जदयू छोड़ चुके हैं। वर्तमान में जदयू नेताओं में असुरक्षा की भावना आ गई है। वे खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन फ्लोर में हमारा साथ देंगे। तेजस्वी ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिसे जनता ने नकार दिया, वे चोर दरवाजे से अंदर आये। हर जगह यही काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक मामले को लेकर 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट करने का जो निर्णय दिया है, हम उसका स्वागत करते हैं। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने गुरुवार को कहा था कि अगर कर्नाटक के राज्यपाल सबसे बड़े दल होने के आधार पर भाजपा को सरकार बनाने का मौका दे सकते हैं, तो उसी आधार पर बिहार में राजद को यह मौका क्यों नहीं मिलना चाहिए?
राजद उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने कर्नाटक के राज्यपाल पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि त्रिशंकु विधानसभा होने पर सबसे पहले पूर्व गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए। अगर उसके पास बहुमत नहीं है तो चुनाव बाद बनने वाले गठबंधन को बुलाया जाना चाहिए। अगर दोनों के पास बहुमत नहीं है तो सबसे बड़ी पार्टी को मौका देना चाहिए। किंतु कर्नाटक में यह नहीं हुआ। डॉ. रामचंद्र पूर्वे, आलोक मेहता एवं चितरंजन गगन ने कर्नाटक में भाजपा सरकार को शपथ दिलाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कर्नाटक की सियासी घटना से संवैधानिक और संसदीय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। राजद नेताओं ने कहा कि गोवा, मणिपुर और मेघालय में सबसे बड़ा दल नहीं होने के बावजूद चुनाव बाद गठबंधन के आधार पर भाजपा ने सरकार बनाई तो बिहार में क्यों नहीं। बिहार में सबसे बड़े दल को आमंत्रित न कर उस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसके एक घटक को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला था।
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