क्या हम जो है, वही हमारे बारे में लोग जानते है? या फिर जो हम नही है, वही सब हमें मानते है। कौन क्या है ये जानने के लिये हम उसके चाल चलन को परखते है। और उसके बाद यह फैसला करते है की वह हमारा मित्र है या फिर मित्र के भेष में कोई बहरूपिया. आज का माहौल आम इन्शान को यह सोचने पर विवश कर रहा है की आखिर क्यूँ देश भक्ति के नाम लोगो को बेवकूफ बनाया जा रहा है. खुदको देशभक्त औरों को देशद्रोही साबित करने में क्यूँ लगे है लोग. देश के राजनैतिक लोगों का तो यही हल दिख रहा है. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आज से पहले अपने इतनी धूम धाम शायद ही देखा हो. बाबा साहेब ने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि आंबेडकर सिर्फ दलितों के थे। उन्होंने समाज के हर उस वंचित वर्ग के अधिकारों की बात की, जिसे समाज में दबाया गया। उन्होंने श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। डॉ. आंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन चलाया। अछूतों को भी हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया। आज संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 127 वीं जयंती है और राजनितिक पार्टियाँ खुद को बाबा साहेब के नक़्शे कदम पर चलने वाला बता रही है. हालही में हुए दलित आन्दोलन के बाद तो बात सत्तारुण बीजेपी के शुर भी बदलने लगे है आज से पहले आपने बीजेपी को अम्बेडकर जयंती को इतनी धूम धाम से मानते नहीं देखा होगा. जानकार मानते है कि 2019 के नजदीक आने के कारण बीजेपी समेत सभी दल डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम का शहारा लेने में लगी. वही दलितों की ब्रांड एंबेसडर नेता और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का कहना है कि मैं मोदी जी की नीयत यदि साफ है तो आपको अदालत के फैसले का इंतजार करने के बजाए एससी-एसटी एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाकर अध्यादेश जारी करना चाहिए. सरकार ने इस एक्ट को प्रभावी बनाने के लिए अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अध्यादेश जारी कर दिया होता तो दलितों को भारत बंद नहीं करना पड़ता. इस मौके पर देश की राजनीतिक पार्टियों (बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, सपा) आदि के अलावा और अन्य संगठन अपने स्तर पर देश में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आंबेडकर जयंती पर एक वीडियो के साथ ट्विट कर लिखा, ‘सभी देशवासियों को आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं। जय भीम!’अब ऐसे में आप ही अंदाजा लगा सकते है की कट्टरपंथ और राष्ट्रवाद में कौन कहाँ फिट बैठता है.
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