तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को मुलाकात के बाद गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेसी फ्रंट बनाने की घोषणा की. इन दोनों नेताओं ने मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि देश के लिए तीसरा फ्रंट बनाने की जरूरत है.ममता बनर्जी ने कहा कि यह नई शुरुआत है. उन्होंने कहा कि राजनीति एक सतत चलने वाली प्रकिया है. ममता से सवाल पूछा गया कि दोनों नेताओं के बीच में क्या बातें हुईं तो उन्होंने कहा कि देश के विकास को लेकर बातें हुईं. वहीं, केसीआर ने कहा कि तीसरा फ्रंट एक संयुक्त नेतृत्व में होगा.ममता ने उम्मीद जताई कि सब लोग एक साथ आएंगे. ममता ने कहा कि अगर राज्य मजबूत और विकसित होंगे तभी देश विकसित और मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही दूसरे दलों से भी तीसरे फ्रंट में शामिल होने के लिए बात की जाएगी.राव ने यह भी कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों का नेतृत्व देश के लिए उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि वह असल में संघीय गठबंधन पेश करने की योजना बना रहे हैं. राव ने कहा कि लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस फ्रंट में शामिल करने के लिए दूसरे दलों के नेताओं से भी बात और मुलाकात की जाएगी.राव ने कहा, ‘लोगों को लग रहा है कि 2019 से पहले एक फ्रंट सामने आएगा. मैं बता दूं कि यह आम लोगों का फ्रंट होगा. यह केवल राजनीतिक दलों का गठबंधन नहीं होगा, इसमें लोग भी शामिल होंगे.’तेलंगाना के सीएम ने पश्चिम बंगाल की सीएम की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी सांसद और मंत्री रह चुकी हैं, वह राज्य की सीएम भी रह चुकी हैं. उनका अुनभव काफी ज्यादा है. वह काफी वरिष्ठ नेता हैं. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से मिलने के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) प्रमुख केसीआर कोलकाता पहुंचे थे.इसलिए अहम है ये मुलाकात
दोनों नेताओं की इस मुलाकात का राजनीतिक महत्व है. क्योंकि राव ने हाल ही में 2019 के आम चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ ‘तीसरा मोर्चा’ बनाने का सुझाव दिया था. वहीं, ममता बनर्जी बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने में सहायक भूमिका भी निभा रही है. ताकि आगामी चुनाव में उसे सत्ता से बेदखल किया जा सके. साथ ही वो खुद भी तीसरे मोर्चे की आवाज उठा चुकी हैं. ऐसे में अगर ये मुलाकात सार्थक साबित होती है, तो भविष्य में कांग्रेस को झटका देने वाला कोई फैसला भी देखने को मिल सकता है.यूपी में भी सपा-बसपा आए थे साथ
यूपी की समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में हाथ मिलाया था. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि बीजेपी को हराने में क्षेत्रीय दल ही सक्षम हैं. हालांकि, सपा या बसपा ने 2019 के आम चुनावों के लिए अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं.कांग्रेस भी कर रही है पहल
कांग्रेस ने भी कुछ ही दिनों पहले बीजेपी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष को एक मंच पर लाने की पहल की थी. यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने अपने आवास पर 20 राजनीतिक दलों के नेताओं को डिनर पर आमंत्रित किया था. इसमें कांग्रेस के बड़े नेताओं समेत वाम दल और एनडीए के नाराज सहयोगी भी शामिल थे.
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