केंद्रीय विद्यालयों में सुबह होने वाली प्रार्थना क्या हिंदुत्व को बढ़ावा है? सुप्रीम कोर्ट ने इसी सवाल को लेकर दायर पीआईएल पर केंद्र से जवाब तलब किया है.दरअसल, एक टीचर की तरफ से दायर इस पीआईएल में सवाल किया गया है कि सरकारी अनुदान पर चलने वाले स्कूलों में किसी खास धर्म को प्रचारित करना उचित नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र और केंद्रीय विद्यालय स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है.जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और केंद्रीय विद्यालय स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया. बेंच ने कहा,”केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को हाथ जोड़कर और आंख बंद कर प्रार्थना क्यों कराई जाती है?”बेंच ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है.दरअसल, इस पीआईएल में संविधान के आर्टिकल 92 के तहत ‘रिवाइस्ड एजुकेशन कोड ऑफ केंद्र विद्यालय संगठन’ की वैधता को चुनौती दी गई है. आर्टिकल 92 के मुताबिक,”स्कूल में पढ़ाई की शुरुआत सुबह की प्रार्थना से होगी. सभी बच्चे, टीचर्स और प्रिंसिपल इस प्रार्थना में हिस्सा लेंगे.”इस आर्टिकल में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली सुबह की प्रार्थना की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है.पिटिशनर के मुताबिक, सरकारी स्कूलों में धार्मिक विश्वासों और ज्ञान को प्रचारित करने के बजाय साइंटिफिक टेंपरामेंट यानी वैज्ञानिक मिजाज को प्रोत्साहित करना चाहिए. साथ ही संविधान के आर्टिकल 28 (1) और आर्टिकल 19 (मौलिक अधिकारों) को संरक्षण देना चाहिए.पीआईएल में कहा गया है,”आर्टिकल 19 नागरिकों को मौलिक अधिकार के तहत अभिव्यक्ति का अधिकार भी देता है. ऐसे में छात्रों को किसी एक धार्मिक आचरण के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए.”पीआईएल में शिकायत की गई है कि केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को प्रार्थना करना अनिवार्य है. जिसे किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता.
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






