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Monday, April 28, 2025 11:28:10 AM

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कांग्रेस ने कहा मोदी राज में दलित उत्पीड़न बढ़ा, महाराष्ट्र की घटना पर बीजेपी ने साधा राहुल और कांग्रेस पर निशाना

कांग्रेस ने कहा मोदी राज में दलित उत्पीड़न बढ़ा, महाराष्ट्र की घटना पर बीजेपी ने साधा राहुल और कांग्रेस पर निशाना

दलितों के कार्यक्रम को लेकर पुणे में भड़की जातीय हिंसा से महाराष्ट्र झुलस रहा है तो संसद तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है. कांग्रेस ने संसद में आरोप लगाया कि जहां-जहां बीजेपी की सरकारें हैं वहां दलितों का उत्पीड़न बढ़ा है. हालांकि, महाराष्ट्र की घटना के लिए बीजेपी ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा. लेकिन अगर गौर करें तो मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में दलितों पर हमले की घटनाएं लगातार चर्चा में हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में दलितों पर कई ऐसे उत्पीड़न के मामले सामने आए, जिन्हें लेकर बड़े स्तर पर हंगामा हुआ.रोहित वेमुला की आत्महत्या से लेकर ऊना, सहारनपुर और पुणे तक दलितों पर हमलों के मामलों पर विवाद हुआ. जबकि एक समय दलितों पर हो रहे हमले के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहना पड़ा कि अगर किसी को हमला करना हैं तो मुझ पर करें लेकिन दलितों पर नहीं. इसके बावजूद दलित उत्पीड़न के मामले लगातार हो रहे हैं. महाराष्ट्र के पुणे में भीमा-कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर 1 जनवरी को कुछ दलित समूहों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर हिंदुवादी संगठनों द्वारा हिंसक हमले किए गए. कार्यक्रम में आए दलितों की गाड़ियां जला दी गईं और उन्हें मारापीटा गया. इस हमले में एक की मौत हो गई.हिंसा से गुस्साए दलित समूहों ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया और मुंबई को पूरी तरह से ठप्प कर दिया. इसके बाद महाराष्ट्र जातीय हिंसा की आग के शोलों में झुलस गया. बुधवार को दलित नेता प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया, इसका असर ये रहा कि पूरा प्रदेश बंद और आंदोलनकारी सड़क पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार किया.मोदी के गृहराज्य गुजरात में ऊना की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया था. 11 जुलाई 2016 को गुजरात के ऊना में कुछ दलित युवकों को मृत गाय की चमड़ी निकालने की वजह से गौ रक्षक समिति का सदस्य बताने वाले लोगों ने सड़क पर बुरी तरह पीटा था. दलितों की पिटाई का वीडियो भी जारी किया था.ऊना की घटना के बाद प्रदेश के दलित समाज के युवा सड़क पर उतरे और मरी हुई गायों को उठाने से मना कर दिया था. ऊना की घटना को लेकर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आंदोलन किया और उन्हें दलितों के साथ मुस्लिमों का भी सहयोग मिला. इस घटना की आवाज संसद में गूंजी तो मोदी सरकार बैकफुट में नजर आई. गुजरात चुनाव में जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया. चुनाव लड़ा और जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं.उत्तर प्रदेश की सत्ता पर योगी आदित्यनाथ के विराजमान होने के एक महीने बाद ही सहारनपुर के शब्बीरपुर में राजपूत-दलितों के बीच खूनी संघर्ष हुआ. पहले 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती के दौरान सहारनपुर के सड़क दुधली गांव में शोभायात्रा निकालने के दौरान दो गुटों में संघर्ष हुआ. इसके बाद 5 मई को महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर शब्बीरपुर के पास गांव सिमराना में महारणा प्रताप की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन था. सिमराना गांव जाने के लिए शब्बीरपुर गांव के ठाकुरों ने महाराणा प्रताप शोभायात्रा और जुलूस निकाला.दलित समाज के लोगों ने विरोध किया और जुलूस निकलने नहीं दिया. यहीं से बात बिगड़ी और शब्बीरपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुई तनातनी ने उग्र रूप धारण कर लिया, जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच पथराव, गोलीबारी और आगजनी भी हुई. क्षत्रिय समाज के लोगों ने दलितों के घरों को तहस नहस कर दिया. इस मामले में करीब 17 लोग गिरफ्तार हुए. दलित नेता चंद्रशेखर रावण मुख्य आरोपी के तौर पर अभी भी जेल में हैं.हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी. हैदराबाद विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने नवंबर 2015 में पांच छात्रों को हॉस्टल से निलंबित कर दिया था, जिनके बारे में कहा गया था कि ये सभी दलित समुदाय से थे. कहा गया था कि कॉलेज प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई की वजह से रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद देश भर में दलित सुमदाय के लोगों ने और छात्रों ने रोहित की आत्महत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। हरियाणा दलित उत्पीड़न के मामले में काफी आगे है. फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में एक दलित परिवार को जिंदा जला दिया गया. इस घटना में दो बच्चों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. बता दें कि सुनपेड़ गांव में करीब 20 फीसदी आबादी दलितों की है और 60 फीसदी सवर्ण हैं. कहा जाता है कि सवर्ण परिवार के लड़के दलित परिवार को परेशान कर रहे थे. एक पुरानी रंजिश के मामले में गांव के सवर्ण जाति के लोग दलित जितेंद्र के घर दाखिल हुए और पेट्रोल डालकर पूरे परिवार को जिंदा जला दिया. इसमें दो बच्चों की मौत हो गई और बाकी परिवार के लोग आग में झुलस गए।

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