रुपईडीहा बहराइच। माहे रमज़ान में बन्दों के लिए नेकियों के कमाने का महीना है। इबादत करने वाले बन्दे के लिए माहे रमज़ान में नेकियों बढ़ा दी जाती है। फ़र्ज़ इबादतो का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है। नफल इबादतों का सवाब फ़र्ज़ इबादतो को बराबर कर दिया जाता है।
इन बातों का इंतजार आज रंजीतबोझा गांव की छोटी मस्जिद के पेश इमाम हाफिज मोहम्मद मुर्तजा नूरी ने फ़र्ज़ नमाज़ के बाद कुराने ए करीम के हवाले से कही। उन्होंने कहा कि ऐ ईमान वालो तुम पर रोज़ा रखना फर्ज किया गया है। जैसा कि तुम से पहली उममतो पर रोज़ा रखना फर्ज किया गया था। ताकि तुम्हारे अंदर तकवा की सिफत पैदा हो। उन्होंने कहा कि रोज़ा सिर्फ खाने-पीने और जिस्मानी ख्वाहिशों से रुकने का नाम नहीं है। बल्कि रोजेदार को चाहिए की वह अपनी आंखों से गैर मरहम को न देखें किसी भी व्यक्ति की बुराई न करें न ही सुने। उन्होंने कहा कि रमजान के एक माह का रोजा वह पूरे 11 महीने के लिए प्रेक्टिस है। उन्होंने कहा कि जिस तरह रमजान के पूरे महीने इंसान अल्लाह की इबादत करता है। खाने पीने का सामान होने के बावजूद वह बिना अल्लाह के हुक्म से खाता पीता नहीं है। इसी तरह अल्लाह के बंदों को चाहिए कि वह रमजान के अलावा साल के पूरे 11 महीने भी अल्लाह के हुक्म के खिलाफ कोई काम न करें। किसी पर जुल्म न करें किसी का हक न दबाएं। उन्होंने हदीस नबंवी के हवाले से कहा है कि बदनसीब है वह शख्स जिसको रमजान का मुबारक महीना मिले और उसकी मगफिरत न हो। उन्होंने कहा कि शाबान की आखिरी तारीख में लोगों को नसीहत फरमाया था कि तुम्हारे ऊपर एक महीना आ रहा है जो बहुत बड़ा महीना है। इसमें एक रात शबे कद्र है जो हजारों महीनों से बेहतर है। इस लिए अल्लाह ताला ने इन रोजो को फर्ज फरमाया है। जो शख्स इस महीने में किसी नेकी के साथ अल्लाह का कुर्ब हासिल करें तो ऐसा है जैसा रमजान के अलावा में किसी कर्ज को अदा किया जो शख्स इस महीने में कर्ज को अता किया तो ऐसा है जैसा है कि 70 कर्ज अदा किया। ऐ सब्र का महीना है। इस महीने में मोमिन का रिज्क बड़ा दिया जाता है।
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