बहराइच। दलाल माफिया मनीष जायसवाल के अपराधों पर कानून का सख्त पहरा होते ही आजादी के लिए बार-बार न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बाद भी उसके द्वारा किए गए जघन्य कृत्यों की भरपाई न हो पाने के कारण एक बार फिर सक्षम न्यायालय द्वारा उसकी जमानत अर्जी को गत दिनों खारिज कर दी गई। जिसमें अधिवक्ता कलीम हाशमी और अजय पाठक द्वारा लगातार विद्वान जज के सामने प्रस्तुत किए जा रहे सबूतों के आधार पर अपने अधिवक्ता के माध्यम से मनीष का हर प्रयास विफल हो रहा है।मामले में अधिवक्ता कलीम हाशमी व अजय पाठक की भी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है। आपको बताते चलें कि प्रदेश भर में दर्जनों अपराध करने वाले मनीष की मुख्य पहचान संभागीय परिवहन विभाग में एक दलाल के रूप में चर्चित होती रही है।
लेकिन भू माफियाओं का वरदहस्त हासिल होने के बाद लखनऊ में किए गए ज्वेलरी कांड से लेकर भू_ माफियाई में बढ़ चढ़कर प्रतिभाग करते हुवे यह भू _माफिया की दुनिया में भी अपना नाम दर्ज करवाता रहा है। संभागीय परिवहन विभाग के एक अधिकारी द्वारा इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया जाना प्रशासन द्वारा एआरटीओ कार्यालय पर छापा मारकर इस को गिरफ्तार किया जाना व पिछले कई वर्षों से इसके भू_माफियाई को लेकर जनपद निवासी गुरप्रीत सिंह का इसके खिलाफ कार्यवाही किया जाना सिर्फ जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।माना जाता है कि गुरप्रीत सिंह बनाम मनीष प्रकरण में मनीष के खिलाफ लगातार प्रस्तुत किए जा रहे आपराधिक इतिहास के कारण ही एक बार फिर उसे अदालत से निराशा ही हाथ लगी।भू संबंधी विवाद को लेकर जब वादी गुरप्रीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मनीष एक अपराधी किस्म का व्यक्ति है इसके द्वारा कानून का खुलेआम दुरुपयोग कर न सिर्फ हमारी संपत्ति को हड़पने का प्रयास किया गया बल्कि मुझे व मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी गई।और भी न जाने कितने लोगों की संपत्ति हड़पने के लिए इस पर कई धाराएं दर्ज हैं। श्री सिंह ने बताया कि इसके द्वारा राजस्व विभाग के अभिलेखों में भी 420 करवा कर कागजों में खूब फेरबदल किया गया। जिसकी खुलासा विभागीय लोगों द्वारा दी गई अपनी जांच आख्या में भी किया गया है।इसके द्वारा जगतापुर सूफी पुरा में लगभग 12,000 स्क्वायर फीट में तीन मंजिला भवन का भी निर्माण करवाया गया है।जिसमें महंगे इटालियन पत्थरों से साज-सज्जा करवाई गई है।श्री सिंह ने कहा कि यही नहीं इसके जेल में होने के बाद भी चिलवरिया से पहले शिव शक्ति ब्रिक फील्ड भट्ठे को अवैध रूप से संचालित करवाया जा रहा है।जो भट्टा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दायरे से दूर रहने के बाद भी बेधड़क संचालित हो रहा है।जबकि 2012 से यह स्कीम बंद भी हो चुकी है।फिर आखिर किसके संरक्षण में उक्त भट्ठा फल-फूल रहा है।उक्त अवैध संपत्तियों पर आखिर कब बुलडोजर चलाया जाएगा।फिलहाल मामला जो भी हो लेकिन मनीष के आपराधिक इतिहास के खिलाफ पीड़ितों का संघर्ष लगातार जारी रहने से उस पर गैंगस्टर लगाए जाने को लेकर भी चर्चाओं का दौर जारी है।
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