रुपईडीहा बहराइच। रमजान मुबारक महीना की रातों में से एक रात शबेकद्र कहलाती है।जो बहुत ही खैरो बरकत की रात है, इस रात को अल्लाह ताला ने हजार महीनों से अफजल करार दिया है। यह बातें जनाब मौलाना वदूदुद्दीन कासमी ने रंजीतबोझा की छोटी मस्जिद में फ़र्ज़ नमाज़ के बाद अपने तकरीर में कही उन्होंने कहा कि 1000 महीने के इतिबार से 83 बरस चार माह बनते हैं। इस अंदाजे के मुताबिक जिस शख्स ने एक रात इबादत में गुजार दी, उसने 83 बरस चार माह का जमाना गोया इबादत में गुजार दिया। उन्होंने कहा कि और यह जमाना भी कम है क्योंकि अल्लाह ताला ने फरमाया है कि (खैरूम मिनअल्फी शहर) इस अर्म से इस तरफ इशारा है कि अल्लाह करीम जितना ज्यादा अजर अता फरमाना चाहेगा अता फरमा देगा। उस अजर का अंदाजा इंसान के बस से बाहर है। उन्होंने कहा कि यह रात मुसलमानों को क्यों अता हुई इसके हुसूल के बारे में उन्होंने कहा कि सबसे अहम सबब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इस उम्मत पर शफकत और आप सल्लाहु अलैहि वसल्लम की गम ख्वारी है, क्योंकि रिवायत में आता है कि जब रसूले पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को साबिका उम्मतों की उम्रों पर आगाह फरमाया गया तो आप सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनके मुकाबले में अपनी उम्मत के लोगों की उम्रों को कम देखते हुए यह ख्याल फरमाया कि मेरी उम्मत के लोग इतनी कम उम्र में पिछले उम्मतों के बराबर अमल कैसे कर सकेंगें। पस आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को लैलतुल कद्र अता फरमा दी। जो हजार महीने से अफजल है।
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