रुपईडीहा बहराइच। भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में इन दिनों भैंसों व गोवंशो की तस्करी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। बताया जाता है कि इस भीषण गर्मी में आवारा गाय, बछड़े, सांड झुंड के झुण्ड सड़कों पर घूम रहे हैं। जिसको क्षेत्र के कुछ सुसंगठित गिरोह इन जानवरों को पकड़कर पहले अपने अपने घरों को ले जाते हैं,फिर गोवंशो की नाक छेद कर बड़े आसानी से भारतीय गांवों में नेपाल क्षेत्र के गांवों में पहुंचा देते हैं। इस गोवंश व भैंसों की तस्करी में स्थानीय पुलिस व एसएसबी की भूमिका भी संदिग्ध बतायी जा रही है। भारत नेपाल सीमावर्ती गांव रंजीतबोझा,बक्सीगांव, शिवपुर मोहनिया गांव के सूत्र बताते हैं कि योगी सरकार में भी भैंसों व गोवंशो की तस्करी होना अपने आप में एक सोचनीय विषय है। सूत्र बताते हैं कि 6 मई को सुबह लगभग 10 रुपईडीहा थाने के हल्का नम्बर 1 के दो पुलिस कर्मियों ने दो नेपाली तस्करों को दो बैलों के साथ नेपाल ले जाते हुए बार्डर पर पकड़ लिया। पकड़े गए दोनों बैलों को रंजीतबोझा गांव निवासी रहीस नामक व्यक्ति के यहां पुलिस ने बधवा दिया। सूत्र बताते हैं कि दोनों तस्करों को थाने ले आये। सोमवार को शाम तक दोनों तस्करों को थाने में बैठाये रखा। बाद में 32 हजार रुपए पर सौदा तय होने पर दोनों को छोड़ दिया। इस संबंध में जब पत्रकारों की एक टीम रंजीतबोझा गांव निवासी रहीस के घर जाकर पकड़े गए बैलों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि इन दोनों बैलों को सोमवार को हल्का के दो सिपाहियों ने पकड़ा था। एक सिपाही का नाम चौरसिया है दूसरे का नाम नहीं मालूम। इन सिपाहियों ने गांव के एक व्यक्ति के माध्यम से मेरे यहां बधवा दिया है। और कहा कि इन बैलों को तुम खिलायो और अब बैल ले जायेंगे तो तुमको तुम्हारी मजदूरी मिल जायेगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र के तस्करों द्वारा पुलिस से लाइन लेकर भैंसों की तस्करी बड़े पैमाने पर कर रहे है। इस संबंध में जब थाना प्रभारी निरीक्षक श्रीधर पाठक से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जानवर तस्करी की कोई लाइन नहीं है।अगर कोई भैंसों या गौवंशो की तस्करी करते मिला तो उसके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
बताया जाता है कि अभी हाल में ही में नेपाल के बांके जिला के खजुरा क्षेत्र में पुलिस ने बरामद 2 सौ 50 किलो गोमांस बरामद किया था जो भारतीय गोवंशों का है। बांके जिले में इतने आवारा पशु घूमते ही नही हैं। रुपईडीहा कस्बे के पूर्व चरदा वन श्रंखला व पश्चिम रुपईडीहा व चकिया वन रेंज स्थित है। ये सभी जंगल नेपाली जिला बांके से सटे हैं। ब्लॉक नवाबगंज के मुख्य मार्गों एनएच 927 बाबागंज से नवाबगंज जाने वाला मार्ग व गाँवों को जोड़ने वाले मार्गों पर भारी संख्या में आवारा गोवंश झुंड के झुंड घूमते दिखाई पड़ते थे। अब इनकी संख्या दिनों दिन कम होती जा रही है। इस की वजह यह है कि इन दिनों इन आवारा गोवंशो को क्षेत्र के कुछ सुसंगठित गिरोह के तस्कर इन गोवंशो को पकड़ कर अपने ठिकानों पर ले जाते हैं और फिर गोवंशो की नाक छेदवा कर उसमें रस्सी डाल देते हैं। फिर बड़ी आसानी से विभिन्न मार्गों से नेपाली गांवों में पहुंचा दिया जाता है। वहां इनका वध कर दिया जाता है। बांके जिले का रनियापुर बठवा गांव पशु तस्करी व पशु वध के लिए नेपाली क्षेत्र में प्रसिद्ध है। प्रतिबंधित पशु के वध की हत्या भारत की तरह नेपाल में भी दंडनीय है। बावजूद इसके नेपाल में आये दिन गोवंश वध होता है। लोग पकड़े भी जाते हैं। खबर मिलने पर बांके जिले की धनौली पुलिस चौकी इंचार्ज खेम प्रसाद रेग्मी ने मुखबिर की सूचना पर मुक्ति कसाई, भीमराज चौधरी, पूरन चौधरी अकबर खां व सिराजुद्दीन खां को गोवंश के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। इस संबंध में बांके जिले के डीएसपी व पुलिस प्रवक्ता मधुसूदन न्यौपने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहते हैं कि नेपाल में भी गोवध पर कड़ी सजा का प्राविधान है। जब तक बॉर्डर से सटे भारतीय क्षेत्रों में गोवंश आवारा घूमते रहेंगे इनकी तस्करी नेपाल में होती रहेगी। क्या कि इस धन्धे में ज्यादा पैसा भी नहीं खर्च होते हैं।
ब्लॉक नवाबगंज में पचपकरी, सोरहिया व सिसैया में मात्र 3 गौशालाएं हैं। जो अपने कुप्रबंध के कारण बदनाम हैं। पिछले दिनों कुछ पत्रकारों ने जब इस संबंध में समाचार लिखा तो दूसरे ही दिन बहराइच जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद ने ब्लॉक की तीनों गौशालाओं में छापा मारा था। उसके पश्चात कुछ सुधार हुआ था। तथा जिम्मेदारों को कड़ी फटकार लगाई गई थी। परंतु फिर वही हाल है कि आवारा पशु किसानों के खेतों को बर्बाद करने मे लगे है।
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