बहराइच 18 दिसम्बर। शीतलहर व ठंड से बचाव के लिए जिला आपदा प्रबन्ध प्राधिकरण, बहराइच द्वारा क्या करें और क्या न करें के सम्बन्ध में कृषकों के लिए एडवाईज़री जारी की गयी है। अपर जिलाधिकारी मनोज की ओर से बताया गया है कि शीत लहर/पाला से फसलों को काला रतुआ, सफेद रतुआ, पछेती अंगमारी आदि रोग हो जाते हैं। जिससे फसलों को अत्यधिक नुकसान पहुंचाता है। कृषकों को सुझाव दिया गया है कि फसलों के बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए बोर्डिओक्स मिश्रण या कॉपर ऑक्सी-क्लोराइड, फॉस्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) के साथ स्प्रे करें।
कृषकों को यह भी सुझाव दिया गया है कि शीत लहर के दौरान यदि संभव हो तो हल्की और लगातार सतह सिंचाई (पानी की उच्च विशिष्ट गर्मी) का उपचारात्मक उपाय करें, स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें। यदि संभव हो तो ठंड प्रतिरोधी पौधों/फसलों/किस्मों की खेती करें। बागवानी और बागों में इंटरक्रॉपिंग खेती का उपयोग करें। सब्जियों की मिश्रित फसल टमाटर, बैंगन आदि के साथ लंबी फसल जैसे- सरसों/अरहर की बुवाई भी करें जो फसलों को ठंडी हवाओं से बचने के लिए आवश्यक आश्रय प्रदान करेंगे। विकिरण अवशोषण बढ़ाएं और सर्दियों के दौरान नई प्लास्टिक द्वारा पौधों के फलों को ढककर गर्म तापीय व्यवस्था प्रदान करें। पुआल या सरकंडा घास आदि के छप्पर (झुग्गी) बनाना चाहिए। जैविक मल्चिंग (थर्मल इन्सुलेशन के लिए), विंड ब्रेक/आश्रय हेतु बेल्ट (हवा की गति को कम करने के लिए) का निर्माण भी करना चाहिए।
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