रिपोर्ट : वसीम अहम
रुपईडीहा बहराइच। भारत नेपाल सीमा पर भारत सरकार द्वारा देश विरोधी गतिविधियों को रोकने व सुरक्षा को और पुख्ता करने के उद्देश्य से सशस्त्र सीमा बल के जवानों की तैनाती की थी। सीमा पर एसएसबी के आ जाने के बाद से सरहदी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मन में सुरक्षा को लेकर विश्वास बढ़ता ही चला आ रहा था। बीते कई वर्षो के बाद भी सीमा क्षेत्र में निवास करने वाले आम नागरिकों को कभी भी कोई परेशानी का सामना नही करना पड़ा। परंतु वर्तमान समय में सरहदी क्षेत्र के भारतीय नागरिक सहित पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के नागरिकों को आवागमन में बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन दिनों एसएसबी अपने चेक पोस्ट रुपईडीहा पर जांच के दौरान आम लोगो को परेशानियों सहित शर्मिंदगी भी उठानी पड़ रही है।ज्ञात हो कि वर्तमान में एसएसबी जांच के नाम पर सभी आम जन मानस के जूते खोलवाना टोपी व हेलमेट उतरवाना तथा पूरे शरीर की जांच करने सहित बूढ़े व बच्चों को भी चार पहिया व दो पहिया वाहन से उतार कर पैदल चलवाते है। जिससे चेकपोस्ट पर बूढ़े बच्चे व औरतों को शर्मिंदगी का सामना तो करना ही पड़ता है। साथ ही साथ आम लोगो को दो से तीन घंटो तक इस परिस्थिति में जाम ने फंसना पड़ता है और रुपईडीहा कस्बे में जाम की स्थिति भयावह हो जाती है।आपको बताते चलें कि एसएसबी के द्वारा क्षेत्र में अपने स्लोगन सेवा सुरक्षा बंधुत्व के तहत समय-समय पर जनचेतना मूलक कार्यक्रम व स्थानीय क्षेत्र के नागरिकों के बीच आपस में भाईचारा और प्रेम बढ़ाने के उद्देश्य से तरह-तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन करती रही है। जिसमें यही स्थानीय सीमावर्ती क्षेत्र के सम्मानित नागरिकों को उस कार्यक्रम में बुलाया भी करती रही है। परंतु आज वर्तमान समय में एसएसबी के द्वारा उन्ही सम्मानित आम जनमानस को चेक पोस्ट पर जांच के नाम पर उनके अंग वस्त्र तक उतरवा लिया जा रहा है। जिससे आम जनमानस को सबके सामने शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है,लोगों का कहना है इतने सालों में इस तरीके से जांच कभी नहीं की गई थी।इस जांच पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए लोग यह भी कहते हैं कि क्या तब पिछले दिनों में एसएसबी के द्वारा सुरक्षा व्यवस्था मजबूत नहीं थी जो अब इस तरीके से जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। कस्बे में यह भी एक चर्चा का विषय बन गया है कि तरह तरह के कार्यक्रम करके एसएसबी के द्वारा सदाचार का पाठ क्षेत्रीय बाशिंदों में बाटा जाता था। परंतु ज्यों ही कार्यक्रम के पश्चात एसएसबी के जवान बीओपी पर जांच के लिए खड़े होते हैं तो वह खुद सदाचार का पाठ भूल जाते हैं।
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