Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Tuesday, March 25, 2025 5:43:41 AM

वीडियो देखें

वामपंथी पार्टियों ने कोरबा और कटघोरा में संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की, भाकपा ने कोरबा से सुनील सिंह को और माकपा ने कटघोरा से जवाहर सिंह कंवर को बनाया प्रत्याशी

वामपंथी पार्टियों ने कोरबा और कटघोरा में संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की, भाकपा ने कोरबा से सुनील सिंह को और माकपा ने कटघोरा से जवाहर सिंह कंवर को बनाया प्रत्याशी

कोरबा। वामपंथी पार्टियों – मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – ने कोरबा जिले के कोरबा और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में मिल-जुलकर प्रचार करने की घोषणा की है। कोरबा से भाकपा ने सुनील सिंह और कटघोरा से माकपा ने जवाहर सिंह कंवर को अपना प्रत्याशी बनाया है। 

 

आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा और भाकपा जिला सचिव पवन वर्मा ने उक्त बातें कही। संयुक्त बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा है कि दोनों प्रत्याशी माकपा और भाकपा के संयुक्त प्रत्याशी हैं और वामपंथी पार्टियों के कार्यकर्ता उनकी जीत को सुनिश्चित करने के लिए कार्य करेंगे।

 

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों की सरकारें रही हैं, लेकिन उनकी कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के कारण विनिवेशीकरण और निजीकरण की नीतियों को ही आगे बढ़ाया गया है, जिसके कारण आम जनता विशेषकर असंगठित मजदूरों की बदहाली बढ़ी है। यही कारण है कि आज प्रदेश में नियमित मजदूरों से ज्यादा संख्या ठेका मजदूरों, संविदा कर्मचारियों, दैनिक वेतनभोगियों जैसे अनियमित कर्मचारियों की है, जिनके पास रोजगार की कोई सुरक्षा नहीं है। बालको जैसे प्रसिद्ध सार्वजनिक उद्योग का निजीकरण करने में तत्कालीन कांग्रेस-भाजपा की सरकारों का ही हाथ रहा है।

 

दोनों वामपंथी नेताओं ने कहा है कि जिले में अंधाधुंध औद्योगीकरण के कारण बड़े पैमाने पर गरीबों को विस्थापन की मार झेलनी पड़ रही है, लेकिन उनके पुनर्वास की चिंता से दोनों पार्टियों का कोई सरोकार नहीं रहा है। इसके कारण एसईसीएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र भी अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करने से इंकार कर रहे हैं और भूविस्थापितों को उनकी जमीन लौटाने और पुनर्वास भूमि का पट्टा देने से इंकार कर रहे हैं। आदिवासी वनाधिकार कानून और पेसा कानून को लागू ही नहीं किया गया है।

 

उन्होंने कहा कि कोरबा और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस-भाजपा का राजनैतिक और नीतिगत विकल्प मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ही है, जिसने किसान सभा, सीटू और एटक के साथ मिलकर आम जनता की समस्याओं को हल करने के लिए ईमानदारी से संघर्ष किया है। इन संघर्षों के कारण आज आम जनता बदलाव के मूड में है। माकपा और भाकपा का संयुक्त प्रचार अभियान वामपंथ को न केवल एक राजनैतिक शक्ति के रूप में उभरेगा, बल्कि विधानसभा में वामपंथ के प्रदेश के लिए दरवाजे भी खोलेगा।

 

 

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *