पुरन्दरपुर। थाना क्षेत्र पुरन्दरपुर अन्तर्गत ग्राम पंचायत करमहवा बुजुर्ग में ग्राम प्रधान पुत्र भी अन्य ग्रामीणों की तरह बाहर से आया हुआ है। लेकिन वह मनमानी तरीके से अपने घरों में रह रहा है। जब कि उसी गांव में लगभग पांच ब्यक्ति गांव के बिद्यालय में रखे गए है। ग्राम प्रधान द्वारा किये गए दो तरह की इस बवस्था ने क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के चपेट में इस वक्त पूरा देश सुलग रहा है जिस ब्यक्ति को जिस हालात में पाया जा रहा है उसी तरह उनकी बवस्था किया जा रहा है। इस क्रम में यह भी आदेश जारी किया गया है। कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अगर बाहर से घर आते है तो उन्हें 14 दिनों तक गांव में स्थित विद्यालयो में रखा जाए फिर उनकी जांच कराकर उन्हें गांव में प्रवेश दिया जाये ताकि 14 दिनों में कोरोना वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाये। सरकार के इस कड़ी नियम को हर ब्यक्ति को मानना है। चाहे वह कोई भी ब्यक्ति हो। लेकिन ग्राम पंचायत करमहवा बुजुर्ग में एक अलग मामला सामने आया है। यहाँ के ग्राम पंचायत प्रधान का पुत्र भी बाहर से आया हुआ है। लेकिन वह पिछले कई दिनों से घरों में रह रहा है। ऐसे में प्रधान पुत्र नितेश चौरसिया द्वारा सरकार के फैसले का खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। जो चर्चा का विषय बना हुआ है। बिद्यालय पर पहले से रखे गए लोग भी प्रधान के इस फैसले से काफी नाराज है। जो उन्हें बिद्यालय पर भोजन दिया जा रहा है। और प्रधान पुत्र नितेश अपने घरों पर आराम फरमा रहा है। बिना जांच परख का किसी को घर मे रखना खतरे में जिंदगी डालना है। लेकिन जिम्मेदार ग्राम प्रधान भी जब अपने गांव के लोगो के प्रति अलग बेवहार किया और अपने पुत्र नितेश चौरसिया को घर पे रखा तो यह चर्चा आग की तरफ फैल गई। उक्त प्रकरण में ग्राम प्रधान की इस मनमानी की जांच अवश्य होना उचित होगा जो गांव में दो तरह का बवस्था किया गया। जब कि गांव के रहने वाले लक्मन गौतम,कच्चा गौण, भुलाई चौरसिया,के परिवारों ने ग्राम प्रधान के इस फैसले को सरकार के नियम के बिरुद्ध बताया है। इन परिवारों का मानना है कि प्रधान पुत्र पर कोरोना वायरस का खतरा नही है तो मेरे परिवारों को प्रधान द्वारा क्यो पाबंदी लगाई गई है। उक्त विषय पर कानून का नियम तोड़ने वाले पर कार्यवाही होनी चाहिए।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






