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Monday, April 21, 2025 12:14:01 PM

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आजादी के 70 दशक बाद भी देश में महिलाओं का उत्पीड़न का चरम पर

आजादी के 70 दशक बाद भी देश में महिलाओं का उत्पीड़न का चरम पर
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार जगदम्बा प्रसाद की रिपोर्ट

महराजगंज। आज देश भर जगह जगह रैलियां निकाल कर मृतक डा.प्रियंका रेड्डी को न्याय दिलाने के लिए हत्यारों को फांसी दो की मांग की जा रही है। कब तक सहेंगी महिलाएं इस समाज में जुर्म? क्या इस देश में महिलाओं का कोई स्थान नहीं? क्यों आज की यह मॉडर्न पीढ़ी अपनी सोच नहीं बदलती? महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं इस सदी में महफूज नहीं हैं।
आए दिन महिलाओं पर होने वाले अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा मामले दुष्कर्म के हैं। आज से तीन साल पहले दिल्ली में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले ने भारत समेत पूरे दुनिया को झकझोर कर रख दिया था।
उस घटना के बाद जिस तरह देश एकजुट होकर न्याय के लिए खड़ा हो गया था, उस समय ऐसा लगा कि मानो देश से इस तरह के अपराध का खात्मा हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रोजाना इस तरह के अपराधों में बढ़ोतरी ही दर्ज की गई।
ऐसे में यह लगता है कि इन अपराधों को रोकने का एक ही उपाय है कि हमें महिलाओं के प्रति अपनी सोच को बदलना होगा और उन्हें समाज में बराबर का हक मिलना चाहिए।
भारत जैसे देश में कहा जाता है कि 'जहां नारियों की इज्जत होती है, वहां भगवान का वास होता है' फिर भी यहां पर महिलाओं पर अन्य किसी देश की तुलना में ज्यादा अपराध होता है।
समाज के कुछ मनचले ही दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे लोगों को समाज द्वारा ही सजा देनी चाहिए, क्योंकि कानून से बचने के सारे उपायों को यह जानते हैं। और कानून का उनको कोई डर भी नहीं होता है।
हम और आप महिलाओं के बिना किसी समाज की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। वही समाज का एक मूलभूत अंग होती हैं तो हम यह सब क्यों भूल जाते हैं क्यों उन्हें इस तरह की प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है।
कई लोग, नेता और समाज के बुद्धजीवी लोग मानते हैं कि लड़कियों को जींस नहीं पहननी चाहिए, अकेले नहीं जाना चाहिए और जल्दी घर आ जाना चाहिए। इन्हीं कारणों से उनके साथ दुष्कर्म होता है। मैं पूछता हूं कि क्या लड़कियों इन सब की आजादी नहीं है?
जब बेटियां सुरक्षित ही नही रहेगी। तब बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का क्या मतलब रह जायेगा।
महिलाओं पर होने वाले दुष्कर्म जैसे अपराध को रोकने के लिए अपनी और समाज की सोच को बदलना होगा और इस तरह के जुर्म को रोकने के लिए आरोपियों के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद करना होगा और राष्ट्रहित में महत्वपूर्ण कदम उठाना चाहिए। युवा समाज के अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव ने हैदराबाद में घटी घटना पर निंदा करते हुए कहा कि देश को चलाने वाले समाज के ठेकेदार जो मौन बने बैठे हैं उन्हें भी ऐसे जघन्य अपराधियों को दण्ड दिलाने के लिए आगे आना चाहिए। प्रधानप्रतिनिधि एवं ब्यापार मंडल संरक्षक विनोद जायसवाल ने कहा कि डा.प्रियंका रेड्डी के प्रति गहरा दुख: ब्यक्त करते हुए कहा कि अगर आज देश के लोग नहीं जागे तो अपराधियों के हौंसले बुलंद हो जायेंगे। शिक्षिका रेशमा जायसवाल ने कहा कि नारी होना ही समाज के लिए अभिशाप बन गया है। नारी की पीडा एक नारी ही समझ सकती है। जन्म से लेकर बडी होने पर पत्नी से लेकर मां बनने तक पीडा से गुजरने पर भी समाज के भूखे भेडियों की गंदी नजरों से अपने आपको बचाते हुए सबके सामने खुश रहने का नाटक नारी करती है। जिस देश में नारी की पूजा होती है उसे देवी माना जाता है। उस देश में नारी की यह दुर्दशा इससे अच्छा मुझे कोख मे ही मार डालते। ब्यापार मंडल अध्यक्ष किशन जायसवाल ने कहा कि यदि कोई फांसी से बडी सजा हो हत्यारे उसके हकदार है। भारतीय युवा संगठन अध्यक्ष गौरव जायसवाल ने कहा कि जिस प्रकार राष्ट्रपति ने POCSO एक्ट मे कानून बनाया कि 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी उसी प्रकार महिलाओं के साथ गैंगरेप करनेवाले एवं महिलाओं को जिंदा जलाने वालों के लिए भी फांसी का प्रावधान इस देश में लागू हो। जबतक अपराधियों के अंदर मौत का डर नही होगा। देश में अपराध होते ही रहेंगे।

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