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Saturday, July 5, 2025 4:10:54 AM

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18 माह बाद अदालत ने किया इंसाफ, कठुआ गैंगरेप मामले में 3 को उम्रकैद तो 3 को पांच साल की हुई सजा 

18 माह बाद अदालत ने किया इंसाफ, कठुआ गैंगरेप मामले में 3 को उम्रकैद तो 3 को पांच साल की हुई सजा 

वो आठ साल की एक मासूम बच्ची थी. जंगलों में पशु चराने ले जाती थी. उन वहशी दरिंदों ने उस मासूम के साथ हफ्ते भर तक बलात्कार किया और फिर जब दरिंदगी के बाद वे उस मासूम का कत्ल करने जा रहे थे, तभी एक पुलिस वाला उनसे कहता है “कुछ देर और रुक जाओ मैं भी इसे नोच-खसोट लूं फिर मार देना.” 18 माह पुरानी इस वारदात के बाद अब अदालत ने इंसाफ किया है. अदालत ने 6 दरिंदों को दोषी माना. 3 को उम्रकैद की सजा सुनाई और 3 को पांच साल की. उम्रकैद पाने वालों में इस खौफनाक साजिश का मास्टर माइंड संजी राम भी शामिल है. संजी राम ही वो हैवान दरिंदा है, जिसने दिल दहला देने वाली इस वारदात की पूरी कहानी लिखी थी. वो कठुआ के गांव रासना में रहता था. वो राजस्व अधिकारी के पद से रिटायर होकर वहां रहने लगा था. संजी राम गांव के मंदिर का मुख्य सेवादार भी था. वो भगवान का सेवक होकर भी पूरा शैतान था. उसी शातिर दिमाग दरिंदे ने मासूम बच्ची को अपना शिकार बनाने की योजना बनाई और अपनी योजना को अमली जामा भी पहनाया. ऐसी साजिश कि 8 साल की बच्ची एक नहीं दो नहीं बल्कि कई हैवानों की हवस का शिकार बनी. उन दरिंदों ने उसे भूखा प्यासा रखा. नशे की गोलियां दीं. उसे भांग खिलाई और सब मिलकर उसके मासूम जिस्म को नोंचते रहे. उसे कुचलते रहे वो भी भगवान के घर में. लेकिन कहते है कि हैवान का कोई धर्म या ज़ात नहीं होती. इसलिए इस हैवानियत को धर्म के चश्मे से नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ कानून के चश्मे से देखा जाए. गुस्सा नहीं हैरानी होती है, लोगों की उस सोच पर जो रूह को छलनी कर देने वाली गैंग रेप जैसी वारदात में भी धर्म और मज़हब ढूंढ लेते हैं. उस वक्त कुछ लोगों ने कहा था कि उस बच्ची के बलात्कारियों को छोड़ दो, जिन्होंने कठुआ के एक मंदिर में अपनी हवस मिटाई थी. दिल पर हाथ रख कर कहिएगा. ऐसे लोगों को धर्म के नाम पर छोड़ भी दें तो क्य़ा इसके अपने ही धर्म के लोग या इसके अपने करीबी-रिश्तेदार अपने ही घर की किसी बच्ची को इनके साथ अकेला छोड़ने की हिम्मत करेंगे? इससे पहले कि आप जवाब दें ज़रूरी है कि उस बच्ची की कहानी एक बार ज़रूर सुन लीजिए. ये कहानी सिर्फ कहानी नहीं है बल्कि कठुआ की ज़िला अदालत में दर्ज चार्जशीट का हिस्सा है. यानी ये कानूनी दस्तावेज़ है. कठुआ में गांव रासना के आसपास अल्पसंख्यक बकरवाल समुदाय के कुछ परिवार आकर बस गए थे. गांव के मंदिर का सेवादार संजी राम इस समुदाय के लोगों से बेवजह चिड़ता था. वो उन लोगों वहां से हटाना चाहता था. पशु पालन पर निर्भर बकरवाल समुदाय के लोग प्रकृति के करीब रहना पसंद करते हैं. इसलिए वे जंगल के पास रहते हैं. संजी राम ने उन लोगों को वहां से हटाने की कई कोशिशें की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. आखिरकार संजी राम के शैतानी दिमाग इस खौफनाक साज़िश का खाका बनने लगा. संजी राम हमेशा बकरवाल समुदाय की 8 वर्षीय उस मासूम और चंचल बच्ची को रोज पशुओं के साथ जंगल में जाते हुए देखता था. उस बच्ची को देखकर उसके मन में शैतान जाग उठा. संजी राम ने अपनी योजना के तहत अपने नाबालिग भतीजे को भी गुनाह में शामिल कर लिया. बात 10 जनवरी 2018 का दिन था. वो मासूम बच्ची रोज की तरह अपने जानवरों को जंगल में चरा रही थी. उसे अंदाजा भी नहीं था कि ये पल उसकी जिंदगी के सबसे खौफनाक पल होंगे. संजी राम का नाबालिग भतीजा बच्ची के पीछे जंगल में पहुंच जाता है. मौका पाते ही वो बच्ची पर टूट पड़ता है. वो जबरन मासूम बच्ची को लेकर उस मंदिर में पहुंचा, जिसका सेवादार उसका चाचा संजी राम था. कोर्ट में दाखिल चार्जशीट के मुताबिक मंदिर के एक कमरे में लाकर उस नाबालिग दरिंदे ने बच्ची को जबरन भांग खिला दी. फिर उसने बच्ची के साथ रेप किया. हवस मिटाने के बाद उसने संजी राम के बेटे भी वहां बुलाया और फिर दोनों ने मिलकर बच्ची के साथ गैंग रेप किया. इसके बाद उसने अपने चाचा संजी राम को इस बात की ख़बर दी. संजी राम ने किसी से बेहोशी की दवा मंगवाई और वो भी मंदिर जा पहुंचा. इसके बाद लगातार बच्ची को पीटा गया, उसके साथ हर दिन बलात्कार किया गया. ये सिलसिला लगातार चलता रहा. कई बार बेहोशी की हालत में भी उसके साथ रेप किया गया.12 जनवरी को बच्ची का पिता हीरानगर थाने पहुंचा. उसने पुलिस को बताया कि तीन दिन से उसकी बेटी घर नहीं आई. विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया को जांच में लगाया गया. उसके साथ टीम में एएसआई प्रवेश कुमार, सुरिंदर कुमार और हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज भी शामिल थे. इस बीच संजी राम का नाबालिग भतीजा मेरठ में अपने कजिन यानी संजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को फोन किया और उसे कहा कि अगर वो आठ साल की बच्ची का रेप करना चाहता है, तो फौरन कठुआ आ जाए. चार्जशीट के मुताबिक विशाल अगली ही ट्रेन से कठुआ पहुंचता है और मंदिर में जाकर बेहोश बच्ची से रेप करता है. चार्जशीट के मुताबिक जांच अधिकारी दीपक खजूरिया लड़की का पता लगाते हुए गांव के मंदिर जा पहुंचा. लेकिन सारी बात जानकर वो सबको तुरंत गिरफ्तार करने की बजाय संजी राम के भतीजे के परिवार को ब्लैकमेल करने लगा. चार्जशीट में लिखा है कि उसने लड़के को बचाने की एवज में डेढ़ लाख रुपये भी वसूल किए. जब वो मंदिर पहुंचा था, तो बच्ची बेहोश पड़ी थी. संजीराम कहता है कि अब इसकी हत्या करनी होगी. इस पर जांच अधिकारी खजूरिया कहता है कि थोड़ी देर रुक जाओ. मैं भी कुछ कर लूं. इसके बाद वो पुलिस अधिकारी भी उस बच्ची से रेप करता है. उसके बाद सभी आरोपी बारी-बारी 8 साल की उस मासूम के साथ सामूहिक बलात्कार करते हैं. हवस मिटाने के बाद वो दरिंदे उस बच्ची का गला घोंट कर उसे मार देते हैं. यही नहीं वहशी बन चुके आरोपी उसके सिर को पत्थर से कुचल डालते हैं. उसकी लाश को जंगल में फेंक दिया जाता है. मासूम के साथ इतनी दरिंदगी कि किसी का दिल भी दहल जाए. चार्जशीट के तहत संजी राम, उसका बेटा विशाल, सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, दो विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज और स्थानीय निवासी प्रवेश कुमार के खिलाफ रेप, मर्डर और सबूत मिटाने का मामला दर्ज किया गया था. यह है कठुआ की पूरी कहानी. अब आप जवाब दीजिए. क्या सोच रहे हैं. मन भारी है? वाजिब है. लेकिन हम इसी दुनिया में रहते हैं. नाज करते हैं अपनी सभ्यता पर. हम कहते नहीं थकते कि दुनिया को तहज़ीब का शऊर हमने सिखाया और अब हम कहां पहुंच गए? इंसाफ हो भी जाए तो क्या है? इस कहानी को सुनते हुए आपकी तरह के लाखों लोगों के अंदर जो आदमी मरा है, उसकी सजा क्या होगी? काश… ताज़िरात-ए-हिंद की दफाओं में मरी हुई इंसानियत का भी कोई मरहम होता. कोई ऐसा जर्राह होता जो पीसकर बांध देता कोई ऐसी बूटी जो हमारे बच्चों को बुरी नजरों से बचा लेती. आदम की औलादें इतनी बुरी तो न थीं कभी कि हमें शर्म आती खुद को आदमी कहने पर.

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