उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अप्रैल को गाजियाबाद में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के चुनाव प्रचार में भारतीय सेना को 'मोदी जी की सेना' कहा था। इसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने तो आपत्ति जताई ही, कई पूर्व सैन्य अधिकारियों ने भी आपत्ति जताते हुए कहा है कि सेना देश की होती है, किसी नेता की नहीं होती है। योगी दित्यनाथ ने गाजियाबाद में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था, ''कांग्रेस के लोग आतंकवादियों को बिरयानी खिलाते हैं और मोदी जी की सेना आतंकवादियों को गोली और गोला देती है। '' क्या भारतीय सेना को 'मोदी जी की सेना' कहना उचित है? इस सवाल के जवाब में वीके सिंह ने बीबीसी को दिए खास इंटरव्यू में कहा, ''बीजेपी के प्रचार में सब लोग अपने आप को सेना भी बोलते हैं। लेकिन हम किस सेना की बात कर रहे हैं? क्या हम भारत की सेना की बात कर रहे हैं या पॉलिटकल वर्कर्स की बात कर रहे हैं? मुझे नहीं पता कि क्या संदर्भ है। अगर कोई कहता है कि भारत की सेना मोदी जी की सेना है तो वो गलत ही नहीं, वो देशद्रोही भी है। भारत की सेनाएं भारत की हैं, ये पॉलिटिकल पार्टी की नहीं हैं। '' जनरल सिंह ने कहा, ''भारत की सेनाएं तटस्थ हैं अपने आप के अंदर इस चीज़ में सक्षम हैं कि वो राजनीति से अलग रहें। पता नहीं कौन ऐसी बात कर रहा है। एक ही दो लोग हैं जिनके मन में ऐसी बातें आती हैं क्योंकि उनके पास तो कुछ और है ही नहीं। '' वीके सिंह ने कहा, ''भारत की सेना की बात करते हैं तो भारत की सेना की बात करो. अगर आप पॉलिटिकल वर्कर्स की बात करते हैं, जिसको कई बार हम मोदी जी की सेना या बीजेपी की सेना बोल सकते हैं। लेकिन उसमें और भारत की सेना फर्क है। '' सर्जिकल स्ट्राइक पर फ़िल्म क्यों बनी? ऐडमिरल रामदास जो भारत की नौसेना के प्रमुख रहे हैं, जनरल हुड्डा नॉर्दन कमांड के हेड रहे हैं और इन दोनों ने ही कहा है कि सेना का राजनीतिकरण हो रहा है। इस पर वीके सिंह ने कहा, ''उन्होंने राजनीतिकरण नहीं कहा। उन्होंने कहा है कि सेना की उपलब्धियों को राजनीतिक हित साधने के लिए लगता है कि इस्तेमाल हो रहा है। वहीं डीएस हुड्डा ने कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए। किसी ने ये नहीं कहा कि राजनीतिकरण हो रहा है। '' सर्जिकल स्ट्राइक पर फ़िल्म क्यों बनी? इस पर जनरल सिंह ने कहा, ''मूवी तो सब पर बनती है भाई। एक प्रहार मूवी बनी थी, आतंकवादियों के ख़िलाफ। यह तो 90 के दशक में बनी थी। '' राजनीतिक रैलियों में सीआरपीएफ़ जवानों के चेहरे क्यों लगाए जा रहे हैं? इस पर जनरल सिंह ने कहा, “मुझे बताइए मैं यहां पर कोई बैनर लगाऊं और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दूं तो क्या वो राजनीतिकरण है? जो कहते हैं कि ये राजनीतिकरण है तो उन्हें क्लास वन से पढ़ना चाहिए कि राजनीतिकरण क्या है?” क्या सेना सवालों से परे है, इस पर जनरल वीके सिंह ने कहा, “ये सेना के स्वाभिमान को चुनौती है. अभी तक सेना पूरी तरह समर्पित थी और आप अचानक उस पर शक करने लगते हैं. आपको उनपर भरोसा क्यों नहीं? अगर आपको उनपर भरोसा नहीं तो किस पर है?” वायु सेना अध्यक्ष ने बालाकोट पर प्रेस ब्रीफ़िंग में सिर्फ मिशन की सफलता की बात कही थी लेकिन अमित शाह ने कहा कि 250 अतंकी मारे गए। जब लोगों ने अमित शाह से सवाल किया तो कहा गया कि वे सेना पर सवाल कर रहे हैं, ऐसा क्यों है? वीके सिंह ने कहा कि सेना किसी मुद्दे को हवा नहीं देती, लेकिन जब लोगों ने बार बार सवाल किए तो शाह ने अपना अनुमान बताया। उन्होंने कहा, “इंटेलिजेंस के अनुसार, उस इलाके में 300 मोबाइल सक्रिय थे लेकिन फिर लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि 250 मरे कि 251। ये उन लोगों का काम है जो समझते नहीं है। हाल ही में राहुल गांधी ने एंटी सैटेलाइट टेस्ट के मौके पर डीआरडीओ को बधाई देते हुए वर्ल्ड थिएटर डे पर प्रधानमंत्री को बधाई दी। इसका क्या तुक था? मेरे लिए ये गिरती हुई मानसिकता है। केवल नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ाने का मतलब ये नहीं कि जो मन में आए आप कहें। ” कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र पर वीके सिंह ने कहा कि किसी देश में लोकतंत्र तभी तक सुरक्षित रह सकता है जबतक उन चीजों को काबू किए रहा जाए, जो लोकतंत्र और देश के लिए बुरी हैं। अफस्पा को या तो जानते नहीं या आप जानना नहीं चाहते। आप वोट पाने के लिए कश्मीर में बांटने की राजनीति कर रहे हैं। इस घोषणापत्र में ऐसी चीजें हैं जिन्हें दुर्भाग्य से बिना विचार किए डाल दिया गया है। मोदी के चुनाव प्रचार के साम्प्रदायिक और तीखा होते जाने के सवाल पर उनका कहना था, “2014 का चुनाव भ्रष्टाचार और फैसला न ले पाने के मुद्दे पर लड़ा गया, 2019 का चुनाव विकास और निर्णायक नेतृत्व के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। असल में कांग्रेस इस चुनाव में धार्मिक मुद्दे का कार्ड खेल रही है। जो व्यक्ति कभी मंदिर नहीं गया अब वो मंदिर जा रहा है, जनेऊ पहन रहा है, मानसरोवर जा रहा है। क्या ये ढोंग नहीं है?” जब ये पूछा गया कि प्रधानमंत्री सार्वजनिक सभाओं में धार्मिक भावनाओं को उभार रहे हैं, वीके सिंह ने इस बात से इनकार किया। पुलवामा की घटना में आंतरिक सुरक्षा में कमी के सवाल पर जनरल वीके सिंह ने कहा कि जहां तक सुरक्षाबलों का सवाल है वो इसका विश्लेषण करेंगे। आतंकी 365 दिन इंतजार करते हैं कि कोई चूक हो, इसलिए इस मुद्दे को सरकार के नज़रिए से नहीं जोड़ना चाहिए। आतंकी घटनाएं कहीं भी हो सकती हैं। वीके सिंह मौजूद सरकार में विदेश राज्य मंत्री हैं। जब उनसे भारत और चीन के रिश्ते के बारे में पूछा गया तो वीके सिंह ने कहा कि दो देशों के रिश्ते छोटे मुद्दे नहीं तय करते। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच मसूद अजहर का कोई मुद्दा नहीं है, ये मुद्दा भारत और पाकिस्तान का है और चीन ने पाकिस्तान में इतना निवेश किया है कि उसे मजबूरी में हस्तक्षेप करना पड़ा। पाकिस्तान के साथ कटु होते रिश्ते के बारे में उन्होंने कहा कि नियंत्रण सेना पर स्थितियां बिल्कुल अलग हैं। दोनों सेनाओं के बीच शांति का काल भी रहा है। असल में ये पाकिस्तान की सेना पर निर्भर करता है कि वो क्या चाहती है। अगर उनका सेनाध्यक्ष आक्रामक होने की सलाह देता है तो नतीजे बिल्कुल अलग होते हैं। हमारी तरफ से जो कार्रवाई होती है उसमें पाकिस्तान की कितना नुकसान होता है इसकी जानकारी नहीं आती क्योंकि वो सार्वजनिक नहीं करते। इससे एक धारणा बनती है कि हमें काफी नुकसान हो रहा है। वीके सिंह 2012 के लोकपाल आंदोलन में अन्ना हज़ारे के साथ थे. आखिर लोकपाल नियुक्त करने में इतने साल क्यों लग गए, इस पर वीके सिंह ने विपक्ष का नेता न होने को कारण बताया। उन्होंने कहा कि जब किसी को बुलाया गया तो उसने नेता विपक्ष होने का दर्जा दिए जाने की मांग की, जिससे समस्या पैदा हुई। सरकार को कोई समस्या नहीं है। कहीं इसलिए तो देरी नहीं हुई कि ये वैधानिक संस्था सरकार से जवाबदेही की मांग करती है? ये पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस सरकार में पिछली सरकारों की तरह भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं हैं। वीके सिंह 2014 में बीजेपी के टिकट से यूपी के गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव जीते थे। इस बार भी वो यहीं से बीजेपी के उम्मीदवार हैं। लेकिन गाजियाबाद को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार किया जाता है। इस पर वीके सिंह का कहना था कि गाजियाबाद में धूल और ढीले-ढाले नियम कायदों की वजह से वायु प्रदूषण है। इसके स्तर को कम करने की योजना हमने बनाई है। कुछ विदेशी राजयनिकों ने विदेश मंत्रालय से वायु प्रदूषण पर चिंता है, क्या इससे देश की छवि प्रभावित नहीं होती है, इस पर उन्होंने कहा, “अगर आप प्रदूषण पर लिखते रहेंगे, खबरों को सनसनी बनाएंगे, कोई भी बाहर से आने वाला नर्वस होगा। इससे समस्या पैदा होती है। जो राजनयिकों ने चिंता जताई थी, वो दिल्ली के बारे में था। प्रदूषण समस्या है और हमें इससे उबरने के बारे में सोचना होगा। “
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