संभल। जिले के किसानों की अर्थव्यवस्था में गन्ने से लाखों से किसान परिवार जुड़े हुए हैं। होली का त्योहार सिर पर है। अब खरीदारी और त्योहार मनाने के लिए सबको रुपया चाहिए। किसान इस सत्र में बेचे गए गन्ने संपूर्ण भुगतान होली से पहले चाहते हैं लेकिन अभी तक गन्ना विभाग भी यह दावा करने की स्थिति में नहीं है कि होली से पहले किसानों को इस पेराई सत्र में बेचे गए उनके गन्ना मूल्य संपूर्ण भुगतान मिल जाएगा।
शासन की सख्ती और जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद जैसे-तैसे पिछले पेराई सत्र का शत-प्रतिशत गन्ना मूल्य चीनी मिलों ने दूसरा पेराई सत्र शुरू होने के बाद दिया है लेकिन इस पेराई सत्र का उतना भुगतान भी नहीं किया गया है, जितना उन्हें गन्ना क्रय अधिनियम के मुताबिक 14 दिन की अवधि में कर देना चाहिए था।
जिले में इस समय इस पेराई सत्र में 206 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य तीन चीनी मिलों पर बकाया है, जिसमें गन्ना क्रय अधिनियम के मुताबिक 14 दिन की अवधि में 128 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया जाना था। इसे भी चीनी मिलें दबाए बैठीं हैं।
अब गन्ना विभाग का प्रयास यह है कि इस धनराशि में अधिकतम गन्ना मूल्य होली से पहले गन्ना किसानों के परिवारों को मिल जाए ताकि उनकी होली फीकी न हो सके पर हैरत की बात यह है कि चीनी मिलें अभी इसका भरोसा गन्ना विभाग को नहीं दे पा रहीं हैं क्योंकि गन्ना मूल्य का भुगतान चीनी की बिक्री पर निर्भर है। बाजार में चीनी के मांग कम है। ऐसे में होली से पहले गन्ना किसानों का संपूर्ण गन्ना मूल्य का भुगतान कैसे हो सकेगा। गन्ना क्रय अधिनियम का भी उल्लंघन हो रहा है।
अगर चीनी मिलें गन्ना खरीदने की तिथि से 14 दिन की अवधि में भुगतान नहीं करती हैं तो उन्हें बकाया गन्ना मूल्य पर 15 प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा। जिले की सभी गन्ना समितियां अपने-अपने क्षेत्र की चीनी मिलों पर बकाया गन्ना मूल्य पर ब्याज भी लगाएंगी। लेकिन ब्याज की उस धनराशि का भुगतान तभी किसानों को मिल सकेगा जब चीनी मिलों से ब्याज की राशि भुगतान समितियों को प्राप्त हो जाएगा।
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