लालकिले के मुमताज महल संग्रहालय को पुरानी संरक्षण शैली से बदलकर हाइटेक बनाया जा रहा है। संग्रहालय में पहली बार कई मुगलकालीन वस्तुओं को पहली बार प्रदर्शित किया जाएगा। संग्रहालय में पहुंचने वालों को अब तक लेखपत्रों पर मौजूद जानकारी को पढ़कर जानकारी हासिल करनी होती थी, लेकिन अब यहां पर वन टच क्यिोस्क के साथ अन्य तकनीकी उपकरणों को लगाया जाएगा। ऑडियो और वीडियो सुविधाओं से लैस होने के बाद संग्रहालय पहुंचने वाले दर्शकों को अपनी रुचि के अनुसार जानकारी हासिल करने में खासी सुविधा होगी।
वहीं लालकिले परिसर में बने विश्व युद्ध संग्रहालय को भी हाइटेक बनाया जा रहा है। इन दोनों संग्रहालयों के संरक्षण के लिए फिलहाल पर्यटकों को लिए बंद कर दिया गया है और जल्द ही इन्हें नए रूप में खोला जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक मुमताज महज संग्रहालय में पर्यटकों के लिए उन वस्तुओं और साक्ष्यों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिन्हें पर्याप्त जगह ना होने के कारण अब तक नहीं प्रदर्शित किया जा सका था। इनमें वो वस्तुएं होंगी जिन्हें दशकों से एएसआई द्वारा सुरक्षित एवं संरक्षित तरीके से रखा गया है।
बताया गया है कि मुमताज महल संग्रहालय को पहले पैलेस संग्रहालय के रूप में जाना जाता था। 1911 में लालकिले के नौबत खाने में बनाया गया था। जिसे बाद में ब्रिटिश शासकों ने मुमताज महल में स्थानांतरित कर दिया था। अब तीसरी बार मुमताज महल संग्रहालय का स्थान बदलने जा रहा है। संभावना है कि मुमताज महल संग्रहालय को ब्रिटिश काल में बनाई गई बैरक में बनाया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो स्थान बदलने के कारणों में संग्रहालय में भीड़ की स्थिति में लोगों को होने वाली परेशानी और जेबतराशी भी शामिल है।
मुमताज महल संग्रहालय में मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय की संगमरमर से बनी कुर्सी, मुगल न्यायालय द्वारा प्रयोग किया जाने वाली शतरंज और तकिये हैं। लघु चित्रकला, पांडुलिपियां, पत्थर के शिलालेख, फ़ार्मैन (शाही आदेश), 17 वीं शताब्दी के पीतल के एस्ट्रोलाब जो खगोलीय गणना के लिए उपयोग किए गए थे। चीनी मिट्टी के बर्तन, वस्त्र और चमकता हुआ टाइल, मुगल जेड में विशिष्ट तलवारें और खंजर प्रदर्शित थे। इनके अलावा मुगलकानीन पर्दे, कालीन, तकिए और कपड़े भी प्रदर्शित थे, लेकिन अब इन्हें नए तरीके से नए अंदाज में पर्यटकों के लिए जल्द ही प्रदर्शित किया जाएगा।
आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर और उनकी बेगम के वस्त्र, उनकी सुलेखित गजल (कविताएं) के दो नमूने, उनके पेन होल्डर, इंकपॉट और कैंची प्रदर्शित थीं, इनके साथ ही यहां हाथीदांत लघु चित्रकला और रंगून की जेल में बहादुर शाह के अंतिम दिनों की तस्वीर भी प्रदर्शित की गई थी, लेकिन फिलहाल पर्यटकों को संग्रहालय में इन वस्तुओं के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा।
लालकिले में बने युद्ध संग्रहालय को भी पर्यटकों की सुविधा के लिए लालकिला परिसर में ही दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाएगा। यहां पर पर्यटकों को प्रथम विश्व युद्व से संबंधित लोगों और हथियारों के इतिहास के बारे में जानकारी मिलेगी। अब तक यह संग्रहालय भी काफी छोटे स्थान पर बना था, लेकिन अब एएसआई इसे नए स्थान पर तैयार कर रहा है, यहां पर भी हाइटेक इफोर्मेशन क्योस्क लगाए जाएंगे। इसके साथ ही यहां इंफॉर्मेशन स्क्रीन भी पर्यटकों को प्रथम विश्व युद्व और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े इतिहास की जानकारी देंगी।
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