प्रयागराज कुंभ में चल रहे विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद के आखिरी दिन जमकर ड्रामा हुआ. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन न करने और सरकार को और वक्त देने के बयान पर साधु-संत भड़क गए. भागवत के बयान से नाराज साधु-संतों ने जमकर नारेबाजी की. इसके बाद विहिप कार्यकर्ताओं ने उन्हें पंडाल से बाहर कर दिया. मीडिया कर्मियों को भी मौके से हटाने का प्रयास हुआ.दरअसल, धर्म संसद को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, “राम मंदिर के निर्माण से कम कुछ भी स्वीकार नहीं है. ये हमारी मांग रहेगी. अब सरकार कैसे करेगी देखेंगे. सरकार करेगी तो प्रभु राम का आशीर्वाद मिलेगा. हम 1990 में 20-30 साल का लक्ष्य मानकर चले थे. 30 साल पूरे होने में बस 2 साल बाकी हैं. सनातन धर्म के विजय का काल आया है. भव्य मंदिर निर्माण के प्रयास को सम्पूर्ण बल संघ देगा. चुनाव के मद्देनजर फ़िलहाल आंदोलन की घोषणा नहीं की. लेकिन 4-6 महीने में इस पर कुछ हो गया तो ठीक नहीं तो सब देखेंगे.”मोहन भागवत के इस बयान के बाद वहां मौजूद साधु-संतों का एक वर्ग आक्रोशित हो गया. उसका आरोप था कि विहिप का यह मंच राजनैतिक मंच है. उनका कहना था कि उन्हें राजनीति नहीं राम मंदिर चाहिए. इसके बाद भागवत के खिलाफ नारेबाजिहोने लगी. इस दौरान साधु-संत समाज दो भागों में बंटा नजर आया.विहिप का आरोप है कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के समर्थित साधु-संतों ने जानबूझकर हंगामा किया. फ़िलहाल मौके पर अभी भी अफरा-तफरी का माहौल है.
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






