बिहार एनडीए के भीतर रार और बढ़ती जा रही है. उपेन्द्र कुशवाहा ने जहां दिल्ली में शरद यादव से मुलाकात की वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले बगैर ही वे पटना लौट आए. जबकि जेडीयू-एलजेपी ने एक सुर में कुशवाहा और शरद यादव के बीच मुलाकात की आलोचना की. वहीं उपेन्द्र कुशवाहा ने दो टूक कह दिया है कि किससे मिलना चाहिए या नहीं मिलना चाहिए ये हम तय करेंगे, कोई सलाह न दे. इस बीच आरजेडी ने कुशवाहा को एक बार फिर महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर दे दिया. जाहिर है सूबे में सियासी तापमान जबरदस्त तरीके से गर्म हो गया है.इससे पहले जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी और एलजेपी के सांसद चिराग पासवान ने उपेन्द्र कुशवाहा और शरद यादव के बीच मुलाकात को आपत्तिजनक बताया. केसी त्यागी ने कहा, ‘’आरएलएसपी के कुछ नेता बीजेपी और एनडीए विरोधी गठबंधन के सूत्रधार नेताओं से मिल रहे हैं। एक केंद्रीय मंत्री और एनडीए के नेता का महागठबंधन के नेताओं से मिलना आपत्तिजनक है.‘’
वहीं सीएम नीतीश कुमार से मिलने पहुंचे चिराग पासवान ने कहा, ‘’NDA में रह कर विपक्ष के नेताओं से मिलना गलत है. कोई भी बयान देने से पहले आपस में बैठक कर बात करनी चाहिए. उपेन्द्र जी का वन-वे ट्रैफिक चल रहा है, उन्हें ये सब बात पब्लिक डोमेन में नहीं रखनी चाहिए.’’ एलजेपी का ये रुख कुशवाहा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि एक दिन पहले ही पटना में कुशवाहा ने रामविलास पासवान से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा था.इस बीच आरजेडी सांसद मनोज झा ने उपेन्द्र कुशवाहा को महागठबंधन में आने का खुला ऑफर दिया है. उन्होंने कहा, ‘’जमीन से आवाज़ आ रही है,अपना पक्ष जल्द स्पष्ट कर लें. बिहार की पूरी राजनीति विकल्प तलाश रही है,बिहार में राजनीति करवट ले रही है.’’
दूसरी ओर दिल्ली में शरद यादव से मुलाकात के बाद पटना पहुंचे कुशवाहा ने संवाददाताओं से कहा, ‘’नीतीश हमारी पार्टी को बर्बाद करना चाहते हैं. अगर वो अपनी मंशा में कामयाब भी हो गए तो मेरी सेहत और सियासत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.हालांकि एनडीए में भाव नहीं मिलने के बाद भी उपेन्द्र कुशवाहा ने भारतीय जनता पार्टी के प्रति सॉफ्ट रुख अपना रखा है. उन्होंने कहा कि कहा-बीजेपी को पहल करनी चाहिए. कुशवाहा ने कहा, ‘’नीतीश अपने बयान का खंडन करें और मीडिया के सामने आकर सफाई दे दें.” उन्होंने फिर दोहराया कि वे एनडीए में हैं, लेकिन ये स्थिति रहेगी तो क्न्फ्यूजन बरकरार रहेगी.बहरहाल बिहार एनडीए में मचा घमासान तो यही बता रहा है कि कुशवाहा के लिए एनडीए में रहने की मजबूरी और नीतीश कुमार से दूरी, का कन्फ्यूजन कहीं ‘माया मिली न राम’ वाली स्थिति पैदा न कर दे.
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