गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमले और पलायन का मुद्दे पर जमकर राजनीति हो रही है. बीजेपुी और कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. इस बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी पर हमला बोला है. रूपाणी ने अपने ट्वीट में उत्तर भारतीयों को प्रवासी कहकर संबोधित किया था. तेजस्वी ने विरोध दर्ज कराते हुए माफी की मांग की है.तेजस्वी यादव ने लिखा, ‘मिस्टर सीएम, क्या आपने अपना होश खो दिया है? साथी भारतियों को प्रवासी कहने की आपकी हिम्मत कैसे हुई? या फिर आप कहना चाहते हैं कि एक प्रवासी उत्तर प्रदेश से चुनाव जीतकर भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है? हम आपसे फौरन माफी की मांद करते हैं. आरएसएस के गुंडों को देश नहीं तोड़ने दे सकते.”रूपाणी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए लिखा, ”कांग्रेस पहले प्रवासियों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाती है. कांग्रेस अध्यक्ष इस हिंसा की निंदा करते हैं. क्या कांग्रेस अध्यक्ष को बिल्कुल शर्म नहीं है?”रूपाणी ने लिखा, ”अगर कांग्रेस अध्यक्ष गुजरात में हिंसा के खिलाफ हैं तो उन्हें अपने सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने प्रवासियों के खिलाफ हिंसा भड़काई. ट्वीट करना कोई समाधान नहीं है, कार्रवाई करना है. लेकिन क्या वो एक्शन लेंगे?
सत्तारूढ़ बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर ने राज्य में डर का माहौल पैदा किया है और यही वजह है कि गैर-गुजरातियों को निशाना बनाया जा रहा है. जबकि कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी के राज में कंपनियां बंद हो रही है. इसलिए मजदूरों को डराया जा रहा है और वो गुजरात छोड़ने को मजबूर हैं.हाल ही में बिहार कांग्रेस के सह प्रभारी बने अल्पेश ठाकोर ने कहा कि बीजेपी बदनाम कर रही है. यह कहते हुए ठाकोर रो पड़े. उन्होंने कहा, ”अगर मैंने गलत किया है तो सरकार मुझे जेल में डाल दे लेकिन बदनाम न करे.” बीजेपी का कहना है कि अल्पेश ठाकोर के संगठन ‘गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना’ ने बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को धमकाया और डर पैदा किया.गुजरात में रह रहे उत्तर भारतीयों और वहां के स्थानीय लोगों के बीच 28 सितंबर की एक घटना तनाव की वजह बनी. साबरकांठा में 28 सितंबर को 14 महीने बच्ची के बलात्कार का मामला सामने आया. इस मामले में बिहार के एक मजदूर को गिरफ्तार किया गया. घटना के बाद से उत्तर भारतीयों के खिलाफ नफरत वाले मैसेज वायरल होने लगे. इसके बाद उत्तर भारतीयों पर हमले शुरू हो गए. गांधीनगर, मेहसाणा, साबरकांठा, पाटन और अहमदाबाद में हमले हुए. इसके बाद कई उत्तर भारतीय मजदूरों ने गुजरात से पलायन करना शुरु कर दिया.
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