पांचवींं बार बिहार के कटिहार लोकसभा क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व कर रहे तारिक अनवर अगला लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ सकते हैं. माना जा रहा है कि लालू प्रसाद के सहयोग से वो महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे. शरद पवार का राफेल डील पर नरेंद्र मोदी का साथ देना तारिक अनवर को नागवार गुजरा और उन्होंने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सदस्यता के साथ-साथ लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया.नरेंद्र मोदी के विरोध के नाम पर शरद पवार का 19 साल पुराना साथ छोड़ने वाले तारिक अनवर ने अपने पत्ते नहीं खोले, लेकिन कांग्रेस बांहे फैलाए उनके स्वागत के लिए तैयार दिखी. तारिक अनवर का रिश्ता कांग्रेस से पुराना है. उन्होंने इसी पार्टी से राजनीति शुरू की थी. 1976 में वह बिहार युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बने और 1980 में कटिहार से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार सांसद चुने गए थे.कांग्रेस से बीस साल पुराना साथ उन्होंने 1999 में छोड़ दिया. सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर शरद पवार, तारिक अनवर और पीए संगमा ने पार्टी छोड़ दी और एनसीपी का गठन किया. हालांकि उनका कांग्रेस विरोध ज्यादा दिन नहीं चला, क्योंकि पवार ने 2004 में यूपीए का साथ देने का फैसला किया. वैसे सच्चाई यह भी है कि अनवर ने पवार या संगमा के करीबी होने के कारण कांग्रेस नहीं छोड़ी थी, बल्कि सीताराम केसरी के साथ सोनिया ने जिस तरह का बर्ताव किया था, उससे अनवर आहत थे और वे सोनिया को तगड़ा झटका देना चाहते थे.तभी तो कहा जा रहा है कि अनवर अगर कांग्रेस में नहीं छोड़े होते तो वे आज पार्टी में अहमद पटेल और गुलाम नवी आजाद की तरह की हैसियत में होते.तारिक अनवर के एनसीपी छोड़ने के बाद राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने उनके फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, तारिक बहुत ही अनुभवी नेता हैं. वह जो तय करना चाहें, कर सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अनवर लालू प्रसाद की मदद से कटिहार से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.उधर कांग्रेस के नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि तारिक अनवर कांग्रेसी ही हैं, इसलिए उनकी स्वाभाविक जगह पार्टी में है. इस बीच सूत्रों ने बताया है कि तारिक अनवर अगले कुछ दिनों में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिलेंगे.इधर तेजस्वी की पार्टी के नेताओं ने कहा कि अगर तारिक अनवर चुनाव लड़ते हैं तो उनको पूरा समर्थन मिलेगा.
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