साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद नीतीश कुमार साल 2015 में सत्ता जीतनराम मांझी को सौंप दी थी. साल 2014 में नरेंद्र मोदी के लिए सफल कैंपेन कर चुके प्रशांत कुमार एक नए मौके की तलाश में थे. दोनों के बीच मुलाकात हुई और अब वह भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय लिखने की ओर बढ़ रहे हैं. नीतीश इस बात का संकेत दे रहे हैं कि प्रशांत उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे जिसका खून का रिश्ता नहीं है.भारत में उत्तराधिकारी बनने की लड़ाई बहुत ही कड़वी और खूनी होती रही है. ऐसी ही लड़ाई उत्तर प्रदेश देख चुका है, जब मुलायम सिंह यादव ने पार्टी की कमान बेटे अखिलेश यादव को सौंप दी, जबकि संगठन की असली शक्ति भाई शिवपाल सिंह यादव को दरकिनार कर दिया गया.पार्टी में नई पीढ़ी को शक्ति के हस्तांतरण का खेल लखनऊ की सड़कों पर खेला गया और विधानसभा चुनाव में उसका परिणाम दिखा. अखिलेश की ओर से चुने गए प्रत्याशियों के लिए शिवपाल ने प्रचार करने से इनकार कर दिया. आज की तारीख में चाचा और भतीजे के बीच अच्छे संबंध नहीं है. इतना ही नहीं शिवपाल ने अपने भतीजे की राजनीति को प्रभावित करने के लिए नया संगठन बना लिया है.तमिलनाडु में डीएमके प्रमुख रहे करुणानिधि के निधन के बाद उनके बेटे एमके स्टालिन पार्टी के अध्यक्ष बने. अपने जीवित रहते ही करुणानिधि स्टालिन के लिए रास्ता बना कर गए थे. बावजूद इसके अलीगिरी के साथ स्टालिन का मसला चल रहा है.उस राजनीति में जहां अपने खून को ज्यादा महत्व दिया जाता हो, वहां अगर समान विचारधारा और समझ के जरिये बने रिश्ते को जगह दी जा रही है तो बिहार की ओर से भारत को एक नई दृष्टि मिलेगी जहां सियासी रणनीतिकार प्रशांत किशोर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हो रहे हैं. माना जा रहा है कि बिहार सरकार में उन्हें अहम रोल दिया जाएगा. रविवार को पार्टी में उनका औपचारिक स्वागत होगा, जहां नीतीश अपने पार्टी के नेताओं को बताएंगे कि ‘प्रशांत आगे का रास्ता तय करेंगे.’प्रशांत ने भी ट्विटर पर इस नए अध्याय का ऐलान किया. उन्होंने लिखा, ‘बिहार से इस नए सफर के लिए मैं उत्साहित हूं.’साल 2016 में छठीं बार मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार विकास मिशन में प्रशांत किशोर को अध्यक्ष बनाया था. हालांकि प्रशांत ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए और अपने नए मिशन के लिए निकल गए.नीतीश कुमार कई बार अनौपचारिक बातचीत में प्रशांत से कहते रहे हैं कि ‘सब कुछ आपको देखना है, बिहार के भविष्य के बारे में सोचिए.’ सूत्रों के मुताबिक नीतीश ने अपने कई करीबी लोगों से कहा कि ‘किशोर ही जेडीयू के आगे की राह पर फैसला करेंगे.’मुख्यमंत्री के करीबी अधिकारी ने कहा, ‘हमें कोई आश्चर्य नहीं है. यह तो होना ही था.’ चुनावी समय में 7 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर प्रशांत ने काम किया है. संभवतः नीतीश, रविवार को उत्तराधिकारी बनान का प्रस्ताव लाएंगे. वह अक्सर यह कहते रहे हैं कि वंशवाद की प्रकृति सामंती है. गठबंधन के चलते उन्हें तेजस्वी को बतौर उपमुख्यमंत्री स्वीकार करना पड़ा.बीते कुछ सालों में भारत में हमने सियासी परिवार में कुछ बेटे-बेटियों को आगे बढ़ता देखा है. बिहार में भी चिराग पासवान अब एलजेपी के सर्वेसर्वा हैं. तेजस्वी यादव, पिता की अनुपस्थिति में राजद का चार्ज संभाल रहे हैं. हालांकि इस बात की संभावना है कि नीतीश कुमार इस नियम को तोड़ने में सफल हो जाएं.
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