बिहार में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए के बीच पहले से तय 20-20 फॉर्मूले के आधार पर सीटों के बंटवारे पर बातचीत अंतिम चरण में है. गठबंधन में सबसे बड़ी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जीती हुई सीटों में दो सीट छोड़ेगी और सिर्फ 20 पर चुनाव लड़ेगी.बची 20 सीटों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) 12-14, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) 5-6, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ( आरएलएसपी) 2 और अरुण कुमार जहानाबाद सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.न्यूज 18 ने सबसे पहले 10 अप्रैल को ही ये खबर दे दी थी कि एनडीए के गैर भाजपाई दलों ने 20-20 फॉर्मूला सामने रखा है जिस पर बीजेपी तैयार है. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 22 में उसे सफलता हासिल हुई थी. लोजपा को सात में छह और रालोसपा ने सभी तीन सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि बाद में रालोसपा सांसद अरुण कुमार बागी हो गए और कुशवाहा का साथ छोड़ दिया.भाजपा के लिए दो सीट की कुर्बानी आसान है क्योंकि दरभंगा से कीर्ति आजाद और पटना पश्चिम से शत्रुघ्न सिन्हा का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. दरभंगा जेडीयू के खाते में जाएगी. संजय झा यहां से चुनवा लड़ेंगे.12 जुलाई को अमित शाह और नीतीश कुमार की बंद कमरे में हुई बातचीत में इस पर भी सहमति बनी थी कि टिकट बंटवारे में उम्मीदवार के जीतने की संभावना ही सबसे बड़ी शर्त होगी. इस लिहाज से कई सीटों पर जेडीयू या बीजेपी के प्रत्याशी एक दूसरे के सिंबल पर भी चुनाव लड़ सकते हैं.जेडीयू ने 17 से 18 सीटों की मांग की थी. इसे देखते हुए बीजेपी नीतीश की पार्टी को झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी एक-एक सीट दे सकती है.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुछ सीटें सहयोगियों के बीच अदला-बदली भी की जा सकती है. उपेंद्र कुशवाहा पर भी एनडीए की नजर है. अगर वो गठबंधन छोड़ कर जाते हैं तो उनकी सीटें बीजेपी और जेडीयू में बंटेगीं. सूत्रों से ये भी खबर है कि अगले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पटना साहिब, दरभंगा, बेगूसराय, वाल्मीकीनगर, मधुबनी और वैशाली में उम्मीदवार बदले जा सकते हैं. इसके अलावा 2019 चुनाव में जेडीयू को यूपी और झारखंड में भी कुछ सीटें देने पर सहमति बनी है.2014 लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 में से 31 सीटें मिली थीं. अभी बीजेपी के पास 22, LJP के पास 6 और RLSP के पास 3 सांसद हैं. 2014 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी थी और उसे सिर्फ दो सीटें ही मिली थी.
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