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Saturday, March 22, 2025 2:20:28 PM

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सीएम नीतीश ने तोड़ी चुप्पी कहा -मुजफ्फरपुर रेप केस में बख्शे नहीं जायेंगे दोषी

सीएम नीतीश ने तोड़ी चुप्पी कहा -मुजफ्फरपुर रेप केस में बख्शे नहीं जायेंगे दोषी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में चुप्पी तोड़ते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच के लिए तैयार है. उन्होंने दावा कि जब तक वो कुर्सी पर हैं, कानून से समझौता नहीं होगा और ‘जिसने भी ये पाप किया है, उसे बख्शा नहीं जाएगा’.पटना में कन्या उत्थान योजना का उद्घाटन करने के बाद नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर की घटना पर अपनी पीड़ा का इजहार किया. उनका कहना था,”जो भी हुआ, उससे मुझे बहुत पीड़ा है. तकलीफ है, जिसने भी ये पाप किया है, चाहे जो भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा. जब तक मैं हूं, कानून के राज से कोई समझौता नहीं होगा.”मुख्यमंत्री ने बताया कि वो इस मामले की हर जानकारी खुद भी ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव दीपक कुमार और समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल कुमार के साथ वो लगातार संपर्क में हैं.नीतीश ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव से कहा है कि वो इस मामले में हाई कोर्ट की मॉनिटरिंग में जांच कराने के लिए जो भी जरूरी है, वो कदम उठाएं.उन्होंने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सिस्टम में भी सुधार की जरूरत बताई. उन्होंने कहा,”हमको ऐसा तंत्र विकसित करना चाहिए जिसमें सबकुछ पारदर्शी हो. जो बात किसी के मन में हो, वो आगे आकर बता सके. इस पर हमको सोचने की जरूरत है.”ये भी पढ़ें- Opinion : महज सुझाव नहीं, ‘सुशासन बाबू’ की गिरती छवि पर टिप्पणी है राज्यपाल की चिट्ठी
दरअसल, बालिका गृह यौन शोषण मामला तब प्रकाश में आया, जब टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की ऑडिट रिपोर्ट सामने आई. 31 मई को बिहार सरकार को सौंपी गई. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कैसे इन बालिका गृह में छोटी-छोटी बच्चियों का शोषण किया जाता रहा है.TISS की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चियों की मेडिकल जांच में उनके शरीर के कई हिस्सों पर जलने और कटने के निशान भी मिले हैं. ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चियों का रोज यौन शोषण होता था. मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, यौन शोषण से पहले बच्चियों को नशे की दवाइयां दी जाती थीं या फिर नशे का इंजेक्शन लगाया जाता था.बता दें, TISS ने 7 महीनों तक 38 जिलों के 110 संस्थानों का सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण में एक और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि शोषण की शिकार हुई सभी बच्चियां 18 साल से कम उम्र की हैं. इनमें भी ज्यादातर की उम्र 13 से 14 साल के बीच है. इस रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुए यौन उत्पीड़न में बाल कल्याण समिति के सदस्य और संगठन के प्रमुख भी बच्चियों के शोषण में शामिल थे

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