बिहार के विशेष राज्य के दर्जे पर बिहार की राजनीति भी काफी स्पेशल हो रही है. सीएम नीतीश कुमार के वित्त आयोग को चिट्ठी लिखे जाने के बाद बीजेपी ने आनन फानन में विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर दी. अब विपक्ष ये सवाल उठा रहा है कि केंद्र में जब बीजेपी सरकार, राज्य में बीजेपी सरकार तो फिर ये मांग किसके सामने उठा रहे हैं?
बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की राजनीति पर नया मोड़ तब आ गया जब इस मांग में बीजेपी भी दूसरे दलों के साथ सूर में सुर मिलाने लगी. सीएम नीतीश कुमार ने 15वें वित्त आयोग को चिट्ठी लिखी है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. सीएम ने अपनी चिट्ठी ये भी जिक्र किया है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों मिले, जबकि 14वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य के दर्जे को ही खारीज कर दिया था. इसके पीछे
सीएम नीतीश कुमार की वित्त आयोग की लिखी चिट्ठी के तुरंत बाद बीजेपी ने भी घोषणा कर दी कि वो भी बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग 15वें वित्त आयोग के सामने रखेगी. उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि जुलाई में 15वां वित्त आयोग बिहार दौरे पर आएगा तो बीजेपी भी अपने बिहार को विशेष राज्य की दर्जे की मांग को रखेगा.सीएम नीतीश कुमार की चिट्ठी और डिप्टी सीएम सुशील मोदी की विशेष राज्य के दर्ज की मांग पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करना शुरू कर दिया है.वहीं कांग्रेस के प्रेमचंद्र मिश्रा का कहना है कि बीजेपी-जेडीयू मिलकर जनता को मूर्ख बना रही हैं. जबकि ये दर्जा देना केंद्र सरकार को है और बीजेपी की केंद्र और राज्य दोनों में सरकार है.बता दें, चुनावी साल है. पिछली बार भी इसी तरह से चुनावी साल में विशेष राज्य का मुद्दा काफी गरमाया था. सारी पार्टियों ने इसे विशेष माना था. लेकिन बिहार की जनता को कुछ हासिल नहीं हुआ. इस बार भी चुनावी साल में बिहार के विशेष राज्य के मसले को राजनीतिक दल छोड़ना नहीं चाहते हैं.
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