बिहार स्टार्ट अप योजना के पोर्टल पर आटा चक्की और पान की दुकान खोलने के युवा आवेदन आ रहे हैं. बिहार स्टार्ट अप के लिए आए लगभग पांच हजार आवेदनों में से मात्र 29 का ही चयन हो पाया है, जिन्हें उद्योग विभाग मात्र 71 लाख रुपए मुहैया करा कर बिहार में औद्योगिक क्रांति का दावा कर रहा है. जबकि इस योजना के नाम पर अबतक 295 लाख रुपए सरकार के खर्च हो चुके हैं.बिहार स्टार्टअप योजना के पोर्टल पर आए आवेदनों में आवेदन कर्ताओं का कहना है कि मुझे गांव में आटा चक्की खोलनी है, मुझे पान की दुकान लगानी है. मुझे शहर में चलाने के लिए एक ऑटो खरीदना है. दरअसल बिहार सरकार नई स्टार्टअप पॉलिसी के तहत इस योजना के लिए चयनित आवेदकों को दस लाख रुपए देगी. लेकिन
बिहार के युवा स्टार्ट अप को या तो ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं या फिर सरकार ठीक से समझा नहीं पा रही है. वहीं स्टार्टअप को समझने -समझाने के खेल में यानि इसके प्रचार प्रसार में सरकार अबतक 295 लाख रुपया फूंक चुकी है. लेकिन हाल ये है कि युवा स्टार्टअप में आवेदन आटा चक्की और पान की दुकान खोलने के लिए कर रहे हैं
सरकार का दावा है कि ये 29 युवा सरकार के मात्र 71 लाख के खैरात से बड़े उद्योगपति बनकर बिहार की तकदीर बदल देगें. विभागीय मंत्री जय कुमार सिंह कहते हैं-
बता दें, बिहार के निवेश सलाहकार समिति में स्टार इंडिया के उदय शंकर समेत पांच बड़ी हस्तियों को रखा गया है. 500 करोड़ का फंड भी बनाया गया है. लेकिन इंक्यूबेटर सेंटर के नाम पर 295 लाख खर्च कर सरकार मात्र 71 लाख के भरोसे औद्योगिक क्रांति का सपना पाल रखी है. ये तो हाल है स्टार्ट अप बिहार का लेकिन बिहार में बड़े निवेश के लिए ग्लोबल समिट के बाद जिस दस हजार करोड़ के निवेश का दावा किया जा रहा था, उसमें भी मात्र 720 करोड़ ही जमीन पर उतर पाया है.
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