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Thursday, May 22, 2025 11:44:39 PM

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पूरा सत्र हंगामे और सदन बहिष्कार की भेंट चढ़ गया, पांच विधेयक पास कराने में खर्च हो गये पौने दो करोड़ रुपये

पूरा सत्र हंगामे और सदन बहिष्कार की भेंट चढ़ गया, पांच विधेयक पास कराने में खर्च हो गये पौने दो करोड़ रुपये

बिहार विधानसभा का बजट सत्र आज समाप्त हो गया.पूरे सत्र के दौरान 23 बैठकें हुई लेकिन सुचारू रूप से सदन की कार्यवाही मात्र गिनती के ही चल सकी. इस सत्र में बजट के अलावा सरकार कुल पांच विधेयक पास कराने में सफल रही.कुल मिलाकर ये पूरा सत्र हंगामे और सदन बहिष्कार की भेंट चढ़ गया. बिहार विधानसभा के 23 दिनों तक चले बजट सत्र के दौरान जनता की गाढी कमाई के लगभग 184 लाख रुपये फूंक दिये गए लेकिन माननीयों के चेहरे पर शिकन तक देखने को नहीं मिला.इन 23 दिनों में गिनती के दिन ही सदन सुचारु और संपूर्ण रुप से चल सका. बिहार में सदन की एक दिन की कार्यवाही चलने में लगभग आठ लाख रुपये खर्च होते हैं. सदन अपने कारणों से कम और बाहरी राजनीतिक कारणों से ज्यादा बाधित रहा. कभी कानून व्यवस्था, कभी अंजनी सिंह, कभी लालू का मसला, कभी अर्जित तो कभी सुप्रीम कोर्ट.ये सभी मामले ऐसे हैं जिनसे बिहार के सदन को कुछ लेना देना नहीं है. लेकिन इसकी जवाबदेही कोई नहीं लेना चाहत. विपक्ष कह रहा है कि सरकार दोषी है जबकि सरकार का कहना है कि हम तो जनता के सवालों के जवाब लेकर तैयार थे.हंगामा, नारेबाजी और सदन बहिष्कार का आलम ये रहा है कि ज्यादातर दिन सदन की कार्यवाही मात्र दो से चार मिनट ही चल सकी है. मतलब सदन शुरु तो साथ में हंगामा भी शुरु. समूचा विपक्ष वेल में और सदन की कार्यवाही स्थगित. हद तो ये है कि ज्यादातर विभागीय बजट विपक्ष की अनुपस्थिति और वगैर कटौती प्रस्ताव के ही पास हो गए. ये बजट सत्र है और वित्त विभाग का बजट वगैर किसी कटौती प्रस्ताव के पास हो गया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांंझी की मानें तो ये हंगामा ही भारतीय लोकतंत्र का मुकद्दर बन चुका है. ये सिर्फ बिहार की ही नहीं बल्कि लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं की भी स्थिति है.इस बजट सत्र में हंगामा भी हुआ तो बाहरी राजनीतिक मुद्दों को लेकर जबकि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट सदन में रखी जिसका अध्ययन अगर विपक्ष करता तो सरकार घिर सकती थी लेकिन रिपोर्ट पढने की फुर्सत किसे है. इस बजट सत्र में कुल पांच विधेयक पास हुए. दो बिहार विनियोग विधेयक, बिहार विद्युत शुल्क विधेयक, बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् विधेयक, बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग संशोधन विधेयक शामिल हैं.

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