भारत बंद के दौरान बिहार में व्यापक असर दिखा. आम लोगों के साथ अधिकारियों और न्यायधीशों को भी बंद से रूबरू होना पड़ा. सोमवार को सासाराम के जिलाधिकारी अनिमेष परासर अपना दफ्तर नहीं जा सके. बंद समर्थकों ने उन्हें डेढ़ घंटे तक रोके रखा, जिसके कारण जिलाधिकारी को वापस आवास लौटना पड़ा.सोमवार को एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में भीम आर्मी संगठन के नेतृत्व में सासाराम में भी बंद समर्थकों ने सड़क जाम रखा था. इस दौरान जब जिलाधिकारी अपने आवास से निकलकर समाहरणालय कामकाज निपटाने जा रहे थे तो करगहर मोड़ के पास भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने उनकी गाड़ी को रोक दिया और डीएम वापस जाओ के नारे लगाने लगे.डीएम को जाम में फसे देखकर पूरा प्रशासनिक अमला बंद समर्थकों को समझाने में लग गया. सिविल एसडीएम अमरेंद्र कुमार एसडीपीओ सदर आलोक रंजन के अलावा कई एडीएम रैंक के अधिकारी नारा लगा रहे बंद समर्थकों को समझाने की कोशिश की, लेकिन लोग करगहर मोड़ पर डटे रहे.डीएम भी लगभग डेढ़ घंटे अपनी गाड़ी में बैठे रहे तथा बार-बार खिड़की खोलकर प्रदर्शनकारियों से रास्ता देने की गुहार करते रहे, लेकिन प्रदर्शनकारी डीएम वापस जाओ के नारे लगाते रहे. इस बीच भीम आर्मी और पुलिस में नोकझोंक के बाद धक्का-मुक्की भी हुई. अंतत जिलाधिकारी ने काफिले के साथ वापस आवास लौटना ही मुनासिब समझा तथा गाड़ी को पीछे कर लिया.रोहतास जिले के डिहरी, करगहर, बिक्रमगंज, शिवसागर, काराकाट, तिलौथू सहित विभिन्न जगह पर बंद समर्थक देखे गए. भीम आर्मी के अलावा राजद, सपा कार्यकर्ता भी सक्रिय रहे तथा कई जगह आगजनी कर रास्ता अवरुद्ध किया.उधर, नवादा में भारत बंद के दौरान हिसुआ स्थित विश्वशांति चौक के समीप भारत बंद समर्थकों ने नवादा सिविल कोर्ट के जज की भी गाड़ी को रोक दिया. इस दौरान बंद समर्थकों ने उनकी गाड़ी को आगे जाने का रास्ता नहीं दिया. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी की नजर उनकी गाड़ी पर पड़ी तो वो गाड़ी को निकालने का प्रयास किया मगर प्रयास विफल रहे. जज साहब की गाड़ी को किसी काम से गया जाना था,मगर विरोध प्रदर्शन के कारण उनकी गाड़ी को भी बंद समर्थकों ने रोक दिया.बाद में तकरीबन आधे घंटे के बाद पुलिसकर्मी के समझाने के बाद वाहन को राजगीर रोड की तरफ मोड़ दिया गया. वाहन को सुरक्षित आक्रोशित बंद समर्थकों से निकाला लिया गया.
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