राज्यसभा चुनाव के बाद अब बिहार में राजनीतिक दलों के बीच परिषद चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. बिहार विधान परिषद में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की सीटों समेत 11 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. परिषद की इऩ ग्यारह सीटों पर जीत का पूरा अंकगणित टिका है. परिषद की 9 सीटें खाली हो रही हैं जबकि दो सीटें पहले से खाली हैं. एक जदयू कोटे के नरेन्द्र सिंह की सदस्यता समाप्त होने से और दूसरी भाजपा के सत्येन्द्र कुशवाहा के निधन से. इन सीटों पर अप्रैल में चुनाव होना है.सबसे पहले आइये एक नजर ड़ाल लेते हैं किस पार्टी की और किसकी सीट खाली हो रही है…. जदयू— नीतीश कुमार, संजय सिंह, उपेंद्र प्रसाद, चंदेश्वर चंद्रवंशी और राजकिशोर कुशवाहा
भाजपा— सुशील मोदी, मंगल पांडे और लालबाबू प्रसाद
राजद— राबड़ी देवी
रिक्त— नरेंद्र सिंह की सीट, सत्येंद्र कुशवाहा – भाजपा (निधन )
परिषद् चुनाव में दलीय आंकड़े बता रहे हैं कि इऩ ग्यारह सीटों में जदयू को तीन, भाजपा को तीन, राजद को चार और कांग्रेस को एक सीट मिलेगी. सबसे पहले अगर भाजपा की बात करें तो इसकी दो सीटों पर सुशील मोदी और मंगल पांडे का जाना तो तय है लेकिन तीसरी लालबाबू वाली सीट पर किसी नये को मौका मिलेगा. इसके लिए दावेदारों की कतार लंबी है बीजेपी के विधायक मिथिलेश तिवारी कहते हैं कि चुनाव समिति से नामों का पैनल बनेगा जिसके बाद आलाकमान कोई फैसला लेगा.कैसा है गणित
विधान परिषद् की एक सीट के लिए न्यूनतम 21 विधायकों की दरकार होगी. एक नजर डाल लेते हैं विधानसभा में दलीय स्थिति पर. विधानसभा में राजद के 80, जदयू के 70, भाजपा के 53, कांग्रेस के 27, माले के 3, रालोसपा के 2, लोजपा के 2, हम के 1 और निर्दलीय 4 एक विधायक हैं जबकि रिक्त सीट 1 (अररिया ) की है.अगर जदयू की बात करें तो इसके कुछ सदस्यों का पत्ता गुल होगा. नीतीश कुमार के बाद शेष 2 सीटों पर जदयू में संजय सिंह, चंदेश्वर चंद्रवंशी, उपेंद्र प्रसाद और राजकिशोर कुशवाहा में किसी दो को ही अवसर मिलेगा लेकिन पार्टी के विधायक श्याम रजक कहते हैं कि इस पर फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को लेना है.फायदे में राजद
इस चुनाव में सबसे बड़े फायदे में राजद रहेगा क्योंकि राजद की मात्र एक सीट खाली हो रही है जबकि उसे चार सीटें मिलनी तय है लिहाजा सबसे ज्यादा घमासान भी राजद के अंदर ही मचा हुआ है. राजद की एक सीट जीतन राम मांझी की पार्टी हम को भी मिलना तय माना जा रहा है.अगर संक्षेप में जीत के गणित को समझें तो एनडीए के पास 127 और महागठबंधन के पास 109 वोट है तीन निर्दलीय का समर्थन एनडीए को है एक सीट के लिए 21 वोट इस हिसाब से एनडीए को 6 और महागठबंधन को 5 सीटें मिलनी तय हैं.चूकि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों की सीटें खाली हो रही हैं तो उऩका परिषद जाना तय है लिहाजा इस परिषद चुनाव में अखाड़े जैसी स्थिति बनने की गुंजाइश न के बराबर है. हां बाकि सीटों के लिए दलों के अंदर एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति जरुर है.
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