Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, April 26, 2025 5:05:26 PM

वीडियो देखें

उत्तर प्रदेश में रेशम उत्पादन विकास के पथ पर अग्रसर

उत्तर प्रदेश में रेशम उत्पादन विकास के पथ पर अग्रसर

बहराइच 07 नवम्बर। उत्तर प्रदेश सरकार कृषि के विकास तथा किसानों की समृद्वि के लिए कृतसंकल्पित है। इस उद्देश्य से प्रदेश में किसानों के लिए अनेक योजनायें/कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। प्रदेश के किसानों की आय में वृद्धि के लिए कृषि का विविधीकरण आवश्यक है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने किसानों के कृषि उत्पादन में बढ़ोŸारी और कृषकों को विविध फसलों की बुआई कर अतिरिक्त आय प्राप्त करने के लिए बीज, खाद, सिचाई आदि संसाधनों की पूरी सहायता दे रहे है। सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश फसलोत्पादन, तिलहन, दलहन आदि में अग्रणी है। कृषि विविधीकरण परियोजनाओं में रेशम कीट पालन किसानों के अतिरिक्त आय का प्रमुख स्रोत है।

प्रदेश में रेशम उत्पादन को दी जा रही सहायता/सुविधा का ही परिणाम है कि गत 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश से रेशम के निर्यात में 28 गुना की वृद्धि हुई है, जो कृषि व अन्य उत्पादों के मुकाबले सर्वाधिक है। उŸार प्रदेश में पिछले 9 वर्षों में रेशम का निर्यात रू0 9.11 करोड़ से बढ़कर रू0 251.65 करोड़ हो गया है। रेशम एक जैविक एवं प्राकृतिक कृषि आधारित उत्पाद है। प्रदेश में रेशम उत्पादन की अपार संभावनाये है। रेशम उत्पादन की वृद्धि के लिए किसानों को जागरूक कर रेशम कृषि से जोड़ा जा रहा है। परम्परागत फसलो के साथ-साथ रेशम कीट-पालन के लिए कृषको को शहतूत के पौधें, मेड़ों व खाली भूमि पर लगाते हुए कीट पालन करने के लिए विशेष जागरूकता लाई जा रही है।

भारत सरकार के सेन्ट्रल सिल्क बोर्ड द्वारा सिल्क उत्पादन के लिए काफी सुविधायें दी जा रही है। वर्तमान में भारत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व मेें दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश है। विश्व रेशम उत्पादन का 42 प्रतिशत रेशम भारत वर्ष में उत्पादित होता है। विश्व मेें कुल 93,986 मीट्रिकटन उत्पादित रेशम में 38,913 मी0टन रेशम भारत में उत्पादित होता है। प्रदेश को रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नवाचारों, नवीनतम तकनीको एवं अनुसंधानो पर बल देते हुए रेशम उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न्ा कार्यक्रम संचालित किये जा रहे है। प्रदेश में नई परिभाषा एवं उत्साह के साथ रेशम उद्योग विकास के पथ पर अग्रसर है। कृषकों को रेशम कीटपालन एवं कोया उत्पादन अथवा धागा उत्पादन कार्य प्रारम्भ करने के लिये केन्द्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से संचालित योजनाओं के अन्तर्गत अनुदान सहायता दिये जाने हेतु पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के उद्देश्य से ‘‘रेशम मित्र पोर्टल’’ पर वर्ष 2023-24 से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने तथा पंजीकरण एवं मॉनीटरिंग व्यवस्था प्रारम्भ कर दी गयी है।

कृषकों को मोबाइल के माध्यम से योजनाओं की आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने तथा शिकायते एवं सुझाव प्राप्त कर निस्तारण हेतु शिकायत प्रकोष्ठ के अन्तर्गत रेशम विभाग द्वारा मो0 नं0 7388305554 जारी किया गया है जो रेशम मित्र पोर्टल पर उपलब्ध है। प्रदेश में प्रथमबार एफ०पी०ओ० को रेशम उत्पादन कार्यक्रमों से जोड़ कर परियोजनायें संचालित की जायेंगी जिसके लिये प्रथम चरण में कुल 03 एफ०पी०ओ० जिनमंे (2) शहतूती रेशम उत्पादन एवं 01 एरी रेशम उत्पादन) के प्रस्तावों का अनुमोदन भारत सरकार के केन्द्रीय रेशम बोर्ड से प्राप्त किया गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूहों के लगभग 1050 महिला सदस्यों को रेशम उत्पादन के कार्यक्रमों से जोडा जा रहा है जिसके लिये राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं रेशम निदेशालय, उ०प्र० के मध्य एम0ओ0यू0 गठित किया गया है। इसके अतिरिक्त कृषि आजीविका सखियों का उपयोग रेशम उद्योग के प्रचार प्रसार हेतु किया जा रहा है।

कच्चे रेशम उत्पादन में प्रदेश को आत्म निर्भर बनाने एवं प्रदेश में उत्पादित रेशम कोये की खपत प्रदेश में ही किये जाने की नीति तैयार कर रेशम धागाकरण इकाईयों को बढ़ावा दिया जा रहा है। पूर्व में संचालित 2 मल्टीइण्ड रीलिंग इकाई के अतिरिक्त रा० कृ०वि०यो० से 06 नई धागाकरण इकाईयों का विभिन्न जनपदों में स्थापित कर कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। वर्ष 2024-25 में 4 नई मल्टीइण्ड रीलिंग इकाईयों की स्थापना का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त टसर क्षेत्र में टसर धागा उत्पादन कार्य हेतु 30 महिलाओं का ग्रुप बनाकर प्रत्येक सदस्य का एक-एक बुनियादी टसर रीलिंग चरखों की स्थापना की गयी है।प्रदेश में रेशम उत्पादन के लिए किसानों को कोया उत्पादन के लिए प्रदेश सरकार प्रशिक्षण एवं अनुदान भी दे रही है।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *