2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी या किसी गठबंधन का हिस्सा बनेगी. इस सवाल पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को भी नहीं ‘मुट्ठी’ नहीं खोली.अपने 62वें जन्मदिन के मौके पर केक काटने के बाद मायावती मीडिया से रूबरू हुईं. इस दौरान उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस को एक साथ निशाने पर लिया. ईवीएम, नोटबंदी से लेकर दलित उत्पीड़न सहित तमाम मुद्दों पर मायावती ने हमला बोला.जब बीएसपी सुप्रीमो से पूछा गया कि लोकसभा चुनाव में बसपा क्या किसी गठबंधन में शामिल होगी? इस पर मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन का जो सवाल है, इसका जवाब मैं एक बार नहीं अनेकों बार दे चुकी हूं.हमने मायावती के लोकसभा चुनाव पर पूर्व में दिए गए बयानों पर गौर किया. तो पता चला कि वह गठबंधन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उन्हें सीटों के बंटवारे में सम्मानजनक स्थिति मिले तब. नहीं तो वह चुनाव में अकेले ही जाना पसंद करेंगीं.इसी क्रम में गठबंधन को लेकर गुजरात चुनाव के दौरान मायावती का बयान गौर करने लायक है. मायावती ने 16 नवंबर को लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय पर नगर निकाय चुनाव को लेकर तैयारी बैठक की. इस दौरान मायावती ने कहा कि बीजेपी व अन्य साम्प्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोकने के लिए बीएसपी गठबंधन के बिलकुल खिलाफ नहीं है. लेकिन पार्टी किसी भी सेक्युलर पार्टी के साथ गठबंधन तभी करेगी, जब बंटवारे में सीटें सम्मानजनक मिलेंगीं.गुजरात और हिमाचल में कांग्रेस से मांगी थीं सीटें
इस दौरान बीएसपी सुप्रीमो ने खुलासा भी किया था कि गुजरात और हिमाचल में गठबंधन को लेकर कांग्रेस से बात हुई थी. उन्होंने कांग्रेस से कुल 182 सीटों में से कांग्रेस द्वारा हारी हुई 25 सीटें देने को कहा था लेकिन कांग्रेस नहीं मानी. इसी तरह हिमाचल की कुल 68 सीटों में से बीएसपी ने कांग्रेस की हारी 10 सीटें मांगी थीं. लेकिन इस पर भी उन्होंने रुचि नहीं ली.उन्होंने बताया कि पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने गठबंधन के संबंध में सोनिया गांधी के खास सलाहकार अहमद पटेल से काफी विस्तार से बात की थी. इसकी जानकारी गुलाम नबी आजाद को भी दी थी लेकिन बात नहीं बनी.
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