‘धरा पर चिकित्सक भगवान् की करुणा का विस्तार है’. यह कथन कोरोना की विभीषिका के बाद पूरे देश के डॉक्टर्स द्वारा सिद्ध हो गया है. डॉक्टर दिन रात अपने स्वस्थ्य, अपने परिवार तथा अपने बच्चों की फ़िक्र त्याग कर जीव प्रकार कोरोना के पीड़ितों की जाँच से लेकर उनके सेवा, चिकित्सा और सुश्रुषा में रत रहे वह उनकी कर्तव्यपरायणता और निःस्वार्थ मूल्यों को सिद्ध करता है. आज राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे है और हमारे लिए उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का एक अवसर. इस कोरोना काल में ऐसे भी डॉक्टर्स का उदाहरण उपलब्ध है जिन्होंने महीनों सेवा करते हुए अपनी रातें अपने घर के सामने टेंट में व्यतीत कीं हैं. ऐसे भी महामना डॉक्टर्स के बारे में उदाहरण मिले कि जानते हुए भी कि उनका मरीज कोरोना या कोविड 19 से बुरी तरह संक्रमित है और उसके संपर्क में आना उनके लिए घातक है अपने कर्तव्य मार्ग से विमुख नहीं हुए. ऐसे कतिपय महान कोरोना योद्धाओं ने अपने जान से भी हाथ धोया है. कुछ ने अपने परिजनों से विछोह वरण तो किया लेकिन कर्तव्य मार्ग पर डटे रहे. कुछ डोक्टरों ने महीने अपनी कार में सोते हुए गुजारी और अनेक नर्सों, मेडिकल कर्मियों ने अपने जीवन की परवाह छोड़ कर मरीजों की सेवा की है. निश्चित तौर पर ये प्राणों की बाजी लगाने वाले डॉक्टर्स उन वीर सेनानियों से किसी सूरत में कम नहीं जो सरहद पर शहीद होते रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री ने इनका स्वागत करने की समूचे राष्ट्र से अपील की थी. यह इनकी सेवा की उत्कटता और समर्पण का सर्वोच्च सम्मान था !
आज हम इनके प्रति अपनी कृतज्ञता और अपना अहोभाव ज्ञापित करें क्यों कि यही सबसे बड़ी देन है जो हम इनके सम्मान में, इनके बलिदान की प्रशस्ति में अर्पित कर सकते हैं.
राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे की आपको शुभकामनाएं
आपका
राधेश्याम सिंह
अध्यक्ष
उद्योग व्यापार मंडल
नौतनवा, महाराजगंज
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