महराजगंज। देश के अंदर कोरोना वायरस से फैल रहे संक्रमण को लेकर जहॉ हाय तौबा मचा हुआ है और पूरे देश को लॉक डाउन कर लोगों को घरों में कैद कर दिया गया है वही पत्रकारिता जगत के लोग अपना जान जोखिम में डाल कर लोगों की सूचनाएँ आदान प्रदान करने में लगे हुये है जिनका कोई पुरसाहाल नही है और लोगो को अपना उल्लू सीधा करने के लिए सबसे पहले पत्रकारों को बुलाया जाता हैं। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से फैल रही भयंकर बिमारी को लेकर केन्द्र तथा प्रदेश सरकार के द्वारा लांक डाउन की घोषणा के बाद लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अनेक घोषणाएं की गई है कि उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके और उन्हें किसी भी तरह की परेशानी से दो चार न होना पड़े वहीं सरकार से लेकर आमजनता तक सूचना को आदान प्रदान करने वाले राष्ट्र के चौथे स्तंभ( *पत्रकारों*) को इस संकट की घड़ी में केन्द्र तथा प्रदेश सरकार एवं सत्ता के सिंघासन पर पदासीन जन प्रतिनिधियों के द्वारा उनको *पत्रकारों* को नजर अंदाज करना गैर मुनासिब जान पड़ता है जो कहीं से भी उचित नही है ऐसे में फैल रहे इस भयंकर महामारी में जान जोखिम में डालकर पत्रकारिता करना एक चुनौती पूर्ण कार्य बना है खैर सरकार तो सरकार है जनप्रतिनिधि भी आँख बंद कर तमासा बीन बने हुए है इन्हें पत्रकारों की कब याद आएगी फोटो छपवाते समय या शपथ ग्रहण करते समय भगवान ही जाने।
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