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Monday, April 21, 2025 4:29:16 PM

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महराजगंज। प्राईमरी विधालय मे बच्चों की शिक्षा के नाम पर शिक्षक काट रहे चांदी

महराजगंज। प्राईमरी विधालय मे बच्चों की शिक्षा के नाम पर शिक्षक काट रहे चांदी
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार जगदम्बा प्रसाद की रिपोर्ट

महराजगंज। जनपद महराजगंज नौतनवां तहसील क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर दिन-ब-दिन गिरता चला जा रहा है। वहीं सरकार प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाकर करोड़ों रूपए पानी की तरह बहा रही है फिर भी शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन धड़ाम होता चला जा रहा है। एक तरफ सरकार की मंशा है कि परिषदीय विद्यालय को कॉन्वेंट की तर्ज पर विकसित किया जाए लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में विभाग तथा शिक्षकों के लापरवाही के चलते स्थिति बद से बद्तर होता चला जा रहा है। जिसमें विभागीय अधिकारियों की उदासीनता शिक्षा स्तर को उठाने के लिए सबसे बड़ा बाधक साबित हो रहा है।
वहीं विद्यालयों में तैनात शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के बजाय फोन पर फेसबुक, व्हाट्सएप, राजनीति और रोजमर्रा से जुड़ी बातों पर चर्चाएं करते हुए दिखाई पड़ते है। मिली जानकारी के अनुसार नौतनवां क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय रेहरा का भी हालत कुछ ऐसा ही है जहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का काम किया जा रहा है। जिस विद्यालय में बच्चों को यह भी नहीं मालूम कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा भारत के प्रधानमंत्री व जिलाधिकारी कौन हैं उन्हें तो यह भी नहीं मालूम कि वह किस प्रदेश व तहसील के हैं ऐसे में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से धड़ाम साबित हो रहा है तथा नौनिहालों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
यही कारण है कि लोग अपने नौनिहालों को सरकारी विद्यालयों में शिक्षण का नाम सुनकर ही भागते हैं। जिससे आज प्राइवेट स्कूलों का बोलबाला है।

क्रासर#कब मिलेगा नौनिहालों को खुले में शौच रूपी अभिशाप से मुक्ति

प्राथमिक विद्यालय रेहरा का शौचालय स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ा रहा है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्वच्छता अभियान के छः साल बीत जाने के बाद भी विद्यालय के शौचालय की स्थिति बेहद दैनी है।
शौचालय देखने से प्रतीत होता है कि शौचालय निर्माण समय से ही सफाई नहीं हुई है शौचालय सीट पर मल, मूत्र का अंबार लगा हुआ है।
नौनिहालों को खुले में शौच रूपी अभिशाप से मुक्ति के लिए सरकार के प्रयासों को जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते सफलता नहीं मिल पा रही है। विद्यालय में शौचालय की हालत तो ऐसी है कि इनका इस्तेमाल तो दूर, उधर से गुजर पाना भी संभव नहीं है। ऐसे में इनके इस्तेमाल से संक्रामक रोगों का खतरा बना रहता है।

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