महराजगंज। भारत के कई राज्य मे जहां बाढ़ ने तबाही मचाई हुई वहीं जनपद महराजगंज के किसान अपनी फसल के लिए प्रकृति के बारिश का इंतजार कर रहे हैं। मानसून की बेरुखी ने किसानों को विवश कर दिया है। क्षेत्र में देर से आए मानसून के कारण खरीफ की बोआई पहले ही अनियमित हो गई। जुलाई में हुई औसत से कम बारिश व अगस्त के पहले सप्ताह में बिल्कुल बारिश न होने के कारण किसानों का मनोबल टूटता जा रहा है। बहदुरी क्षेत्र में कुल लगभग सैकड़ों हेक्टेयर भू-भाग पर कृषि होती है। इस बार भी क्षेत्र में सबसे अधिक धान की रोपाई की हुई है। शेष भूमि पर गन्ना, दलहनी फसलें व सब्जियों की खेती की गई है। अच्छे मानसून की आस में लगभग सभी प्रकार की फसलें मुरझाने लगी हैं। इलाहाबास, महुआरी, धरैची, राजपुर, मैनहवा व बेलौही में कम बारिश के बाद फसलों को बचाने के लिए पंपिग सेट का सहारा लिया जा रहा है। इन गांवों के किसान अनिल मिश्र, राजू, दिलीप कुमार, कमलेश, रामदयाल, श्रीराम, रामजीत मौर्य, अशोक गुप्ता, मोहम्मद रजा, अफजल सहित अन्य का कहना है कि सिचाई के दो दिन के बाद ही खेत का पानी सूख जा रहा है। बार-बार सिचाई कर फसलों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है। जिला कृषि अधिकारी रवि कुमार का कहना है कि धान की फसल बचाने के लिए किसान समय पर सिचाई करते रहें। फसलों को पानी न मिलने से पैदावार कम हो सकती है। ऋ
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