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Sunday, April 20, 2025 4:42:19 AM

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महराजगंज। फरेंदा तहसील मे धुरिया गोंड समाज ने वीरांगना दुर्गावती का बलिदान दिवस पर मनाया शौर्य दिवस

महराजगंज। फरेंदा तहसील मे धुरिया गोंड समाज ने वीरांगना दुर्गावती का बलिदान दिवस पर मनाया शौर्य दिवस
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार जगदम्बा प्रसाद की रिपोर्ट

महराजगंज। धुरिया गोंड समाज द्वारा तहसील इकाई फरेन्दा के तत्वाधान में सोमवार को फरेन्दा के पुराना टाउन एरिया ऑफिस में राजमाता महारानी दुर्गावती के बलिदान दिवस को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडवोकेट अनिरुद्ध श्रीवास्तव व विशिष्ट अतिथि राहुल शर्मा ने गोड़ी धर्माचार्य नान्द्रिका गोंड के मंत्रोचार पर महारानी दुर्गावती के चित्र के समक्ष धुप दीप जलाकर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित किया।
वीरांगना महारानी दुर्गावती का बलिदान दिवस के मौके पर वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही उनके बताए रास्ते पर चलने का आह्वान किया।

विशिष्ट अतिथि समाज सेवी राहुल शर्मा ने कहा कि गोंड जाति के लोग ईमानदारी और वीरता के लिए विख्यात हैं। उन्होंने कहा कि समाज के लोगों को सक्रियता दिखानी होगी। बनवारी गोंड ने कहा कि एकजुटता की बदौलत विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
फरेन्दा के पुराना टाउन एरिया ऑफिस में आयोजित कार्यक्रम के दौरान धुरिया गोंड समाज के धर्माचार्य जयगांधी धुर्वा ने कहा कि महारानी दुर्गावती भारत की एक वीरांगना थीं जिन्होने अपने विवाह के चार वर्ष बाद अपने पति दलपत शाह की असमय मृत्यु के बाद अपने पुत्र वीरनारायण को सिंहासन पर बैठाकर उसके संरक्षक के रूप में स्वयं शासन करना प्रारंभ किया। इनके शासन में राज्य की बहुत उन्नति हुई। दुर्गावती को तीर तथा बंदूक चलाने का अच्छा अभ्यास था। चीते के शिकार में इनकी विशेष रुचि थी। उनके राज्य का नाम गोंडवानाथा जिसका केन्द्र जबलपुर था। वे इलाहाबाद के मुगल शासक आसफ खान से लोहा लेने के लिये प्रसिद्ध हैं

महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्तिसिंह चंदेल की एकमात्र संतान थीं। बांदा जिले के कालिंजर किले में 1524 ईसवी की दुर्गाष्टमी पर जन्म के कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया। नाम के अनुरूप ही तेज, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण इनकी प्रसिद्धि सब ओर फैल गयी। दुर्गावती के मायके और ससुराल पक्ष की जाति भिन्न थी लेकिन फिर भी दुर्गावती की प्रसिद्धि से प्रभावित होकर गोण्डवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह मडावी ने अपने पुत्र दलपत शाह मडावी से विवाह करके, उसे अपनी पुत्रवधू बनाया था।
नान्द्रिका गोंड ने कहा कि कई जगहों पर आदिवासी गोंड राजाओं का शासन रहा है। इस दौरान तहसील इकाई अध्यक्ष राधेश्याम धुरिया, सत्येन्द्र गोंड, बनवारी गोंड, सुनील गोंड, सियाराम गोंड, गणेश गोंड, विपिन गोंड, सोनू गोंड, जंगी गोंड आदि मौजूद रहे।

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