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Saturday, February 15, 2025 10:15:10 PM

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महराजगंज। धुम्रपान के कारण महिलाओं में बांझपन का खतरा

महराजगंज। धुम्रपान के कारण महिलाओं में बांझपन का खतरा
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार जगदम्बा प्रसाद की रिपोर्ट

महराजगंज। धुम्रपान कई रूपों में भारत में उपलब्ध सबसे आमफ़हम इस्तेमाल का नशा है। पूरी दुनिया में सिगरेट, निकोटीन, तंबाकू का सबसे ज़्यादा प्रचलित रूप है। भारत में इसे कई रूपों में इस्तेमाल किया जाता है जैसे सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, नसवार और गुटका।

तंबाकू में काफ़ी नशा होता है और अक्सर इसका सेवन करने वाले लोग चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पाते। इसमें विषाक्तता भी बहुत ज़्यादा है। दुनिया भर में लगभग 50 लाख मौतें हर साल तंबाकू के सेवन से होती हैं। भारत में तंबाकू से हर साल दस लाख से ज़्यादा लोगों की जानें चली जाती हैं।

हर रोज़ ढाई हज़ार भारतीय तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से मारे जाते हैं। दुनिया भर में कोकीन और हेरोइन, शराब, आग, दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या और एड्स से भी हर साल इतनी मौतें नहीं होतीं जितना कि तंबाकू सेवन से। यानी कि इनसे पाँच गुना ज़्यादा मौतें हर साल सिर्फ़ तंबाकू का सेवन करने से होती हैं।
तम्बाकू का असर पुरुष प्रजनन क्षमता पर भी भारी दुष्प्रभाव डालता है. यह रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और रक्त प्रवाह को प्रभावित करता है.
धूम्रपान न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि दिल, गुर्दे और यहां तक कि शुक्राणुओं को भी नुकसान पहुंचाता है. यह पुरुषों और महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है. दिल्ली स्थित इंदिरा आईवीएफ अस्पताल कि गायनोकोलॉजिस्ट एवं आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ. सागरिका अग्रवाल का कहना है कि धूम्रपान महिलाओं में इनफर्टिलिटी की संभावना को 60 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है. धूम्रपान का एक्टोपिक गर्भावस्था से संबंध हो सकता है और इसके कारण फैलोपियन ट्यूबों में समस्या आ सकती है.

एक्टोपिक गर्भावस्था में, अंडे गर्भाशय तक नहीं पहुंचते हैं और इसकी बजाय फैलोपियन ट्यूब के अंदर प्रत्यारोपण हो जाते है. इसके कारण गर्भाशय में परिवर्तन आ सकता है जिसके कारण गर्भाशय कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. सिगरेट में मौजूद रसायन अंडाशय के भीतर एंटीऑक्सीडेंट स्तर में असंतुलन पैदा कर सकते हैं. यह असंतुलन निषेचन को प्रभावित कर सकता है और स्पष्ट है कि इसके बाद इम्प्लांटेशन में कमी आ जाएगी.
तम्बाकू के कारण क्रोमोसोम को भी क्षति पहुंच सकती है और शुक्राणु में डीएनए फ्रैगमेंटेशन हो सकता है. धूम्रपान शुक्राणु को नुकसान पहुंचाते हैं जिसके कारण निषेचन की संभावना कम हो जाती है. धूम्रपान करने वाले लोगों के शुक्राणुओं से विकसित भ्रूण में डीएनए की क्षति के कारण उसके जीवित रहने की संभावना कम होती है.

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