( रिपोर्ट: डी0पी0श्रीवास्तव )बहराइच। शहरी व राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे स्थापित देशी व विदेशी मदिरा की दुकानों को शाशन के निर्देशों से हटाकर कस्बों के संपर्क मार्गों तथा आबादी के बीच स्थापित करा देने से इसका दुष्प्रभाव आम नागरिकों पर भी पड़ते देखा जा रहा है।
जहाँ शराबियों का जमघंट सड़कों के किनारे व बीच चौराहों पर खुलेआम दारु पीते व गालियां बकते देखे जाते हैं वहीँ जनशिकायतों के बाद भी विभाग द्वारा कोई अंकुश न लगा पाने के कारण रोड पर गुजरने वाले राहगीरों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जहाँ दिन के उजाले में ही शराबियों को उत्पात करते देखा जाता है वहीँ दूसरी ओर लड़कियों,छात्र छात्राओं व महिलाओं को कई मदिरालयों व शराबियों के बीच से ही गुजरने की पीड़ा झेलनी पड़ रही है।
जबकि जिला आबकारी विभाग के अधिकारी अपने अपने फायदे के चक्कर में सार्वजनिक स्थलों पर खुली दुकानों को हटाने का आदेश न देने के साथ साथ जनता द्वारा की गई शिकायतों को भी नजर अंदाज किया करते हैं। बताया तो यहाँ तक जाता है कि यह विभाग खाना पूर्ति के लिए मौजूदा सरकार के पिछलग्गू नेताओं के वाहनों द्वारा छापेमारी के कार्यों को न सिर्फ अंजाम देती है बल्कि मदिरा की बरामदगी भी पार्टी के झंडा लगी गाड़ियों में माल लादकर दिखाया जाता है। सूत्र यहाँ तक बताते हैं कि अभी कुछ अर्सा पूर्व ही एक ठेकेदार के कहने पर विभाग द्वारा सत्ता पक्ष की झंडा लगी गाड़ियों द्वारा न सिर्फ छापेमारी की गई बल्कि छापेमारी के दौरान मोहल्ले के घरों में घुसकर लोगों को प्रताड़ित व परेशान भी किया गया।
कुछ लोगों ने यह भी बताया कि कई खाली प्लास्टिक बोतलों को इकट्ठा कर उनकी फोटो खिंचवाकर अपनी अपनी पीठ भी थपथपवाई गई।
जबकि खुलेआम देशी विदेशी शराब की दुकानों पर निर्धारित दर से 5 से 10 रुपये प्रति शीशी ज्यादा लेने व उसकी शिकायत पर आबकारी अधिकारी व उनके मातहत इंस्पेक्टर मामले से अंजान बनने का नाटक करते रहते हैं। विभागीय अधिकारियों के उक्त जबरिया रवैये से न सिर्फ सरकार की छवि धूमिल होती है बल्कि आवाम पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
मालूम हो कि आबकारी विभाग प्रगल्भ लवानियां के संरच्छन में सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार शेड्यूल निर्धारित कर सुबह 10 से रात्रि 8 बजे तक ही दुकानों पर दारु/शराब उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे लेकिन कहीं भी इसका अनुपालन होते दिखाई नहीं दे रहा है। एक ओर जहाँ पुलिस अधीक्षक के द्वारा चलाये गए अभियान में मादक से जुड़े पदार्थ आवाम व मीडिया के सामने दिख रहे हैं वहीँ मीडिया में रहने का जज्बा पाले आबकारी विभाग द्वारा निष्प्रयोज्य व नष्ट किये जा रहे लाखों लाख लीटर का कोई साक्ष्य ही नहीं मिल पा रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण मौके पर प्रत्यक्षदर्शियो व मीडिया का न होना भी बताया जाता है। ज्यादातर मामलों में विभाग द्वारा मीडिया के सामने आंकड़ों को परोसकर वाहवाही लूटने का प्रयास किया जा रहा है।
बताया जाता है कि छपारू रोग से ग्रस्त यह विभाग नित्य नए नए तरीके ईजाद कर अखबारों में अपनी फोटो छपवाने के लिए खबर में बने रहते देखे जा रहे हैं। समय समय पर विभाग द्वारा दर्जनों छापेमारी प्रदर्शित की गई लेकिन हर जगह सिर्फ खबर में बने रहने का तरीका अपनाना ही नजर आता रहा। वास्तविक कार्यवाही अथवा दारु/शराब की रिकवरी नजर नहीं आती। हाल यह है कि चिन्हित इंटीरियल जगहों पर आज भी बदस्तूर शराब बनाने का क्रम जारी है जिसमे आबकारी विभाग सहित पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। आये दिन लगातार छापेमारी के बाद भी न तो तस्करी पर रोक लग पा रही है और न ही तराई इलाकों,जंगलों इत्यादि में चल रहे अवैध शराब बनाने के कारखानों पर ही कोई अंकुश लग पा रहा है। लोगों द्वारा यह भी आशंका जताई जा रही है कि इनके द्वारा पीठ थपथपवाये जाने का एक कारण उपस्थित एल्कोहल की कुछ बूंदों से कई ड्रम शराब का बनाया जाना भी हो सकता है।
बताया यह भी जाता है कि इस बार के जो ठेके दिए गए थे उसमे ख़ास निर्देश था कि आबादी,सार्वजनिक स्थलों,मंदिरों,मस्जिदों व अन्य धार्मिक स्थलों जैसे संवेदनशील स्थानों से दूर मदिरालय की दूकान खोलें जायें बाउजूद उक्त आदेशों का पालन न हो पाने के कारण शहर के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में भी इसका बुरा असर देखा जा रहा है। जिसकी एक बानगी गोंडा बलरामपुर रोड, अस्पताल चौराहा व फायर स्टेशन सहित रोडवेज के ठीक बगल मस्जिद व सीओ सिटी के आवास के सामने स्थित शराब की दूकान व अग्रसेन चौक स्थित दूकान पर दर्जनों खड़ी गाड़ियां जहाँ कभी एडिशनल एसपी सुनील कुमार सिंह का यादगार छापा भी पड़ा था आज खुलेआम क़ानून की धज्जियाँ उड़ते देखी जाने के साथ साथ अन्य दुकानों का भी वास्तविक चेहरा देखा जा सकता है।
नगर में ही तमाम ऐसी देशी व विदेशी मदिरालयों की दुकानें हैं जो खुलेआम सार्वजनिक स्थलों पर चलाये जाने के बाद भी विभाग कार्यवाही करने के बजाय न जाने किन हालातों में मौन बना हुवा है।
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