जनाजा बहुत भारी था उस गरीब बृजलाल का जो पत्नी के साथ बेटियों के भी सारे अरमान को साथ लिए चला गया। यह कहना किसी और का नहीं बल्कि मृतक बृजलाल के घर पहुंचने वालों का कहना था। लोग बता रहे थे कि बैठवलिया गांव निवासी मजदूर बृजलाल की पुणे में संदिग्ध परिस्थिति में शनिवार की सुबह मौत हो गई।
पति के मौत के बाद जहां पत्नी सावित्री रह रह कर बेशुद्ध हो जा रही थी वहीं मृतक मजदूर बृजलाल की इकलौती बेटी अनीता रो-रोकर लोगों से कह रही थी कि आखिर गरीबी के चलते पापा के चेहरा देखने की आज हसरत भी अधूरी रह गई।
बेटी अनीता बता रही थी कि पापा की शव को घर पर लाने के लिए ₹17000 की जरूरत थी। गरीबी को देख तत्काल इतनी बड़ी रकम इकट्ठा ना होने के चलते पापा का शौक घर पर नहीं आ सकता। जिसके चलते पापा की मौत के बाद भी उनकी चेहरा देखने को नसीब नहीं हुआ।
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