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Tuesday, June 10, 2025 12:00:45 PM

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सैकडो से अधिक संचालित है अवैध मेडिकल व क्लिनिक, कमीशन ने चढा रखा है जिम्मेदारो के ऑखो पर पट्टी

सैकडो से अधिक संचालित है अवैध मेडिकल व क्लिनिक, कमीशन ने चढा रखा है जिम्मेदारो के ऑखो पर पट्टी
से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार जिब्राइल खान की रिपोर्ट

जनपद (बहराइच)की विषेश खबर

बहराइच जिले में अवैध मेडिकल व क्लिनिको की भरमार है जिसमें 10% प्रतिशत सरकारी डॉक्टर है जिनकी वर्तमान समय में ही जनपद में कहीं न कहीं पर तैनाती है , और ऐसे ही डाक्टरो के कारण भ्रष्टाचार सबसे अधिक होता इनका कार्य मात्र सरकारी अस्पतालो य उप स्वास्थ्य केंद्र में अपनी हाजरी भरना होता है बाकी समय इनका अपना निजी अस्पताल य क्लिनिको पर होता है जिसकी स्पष्ट जानकारी जिले कें जिम्मेदारो को है परन्तु कमीशन ने इनके ऑखो पर पट्टी चढा रखी है कार्यवाही के बजाये कमीशन का अभयदान बना हुआ है और जिम्मेदारो की तरफ से पूरी छूट है डाक्टर जैसा चाहे वैशा इलाज के दौरान मनमानी करते रहे उन पर कोई कार्यवाही नही होती है कभी कभार इसका खुलासा भी होता है जांच के नाम पर उसको बरी कर दिया जाता है, और फिर से किसी के जिन्दगी के साथ खिलवाड करने की पूरी छूट दे दी जाती है अब रही बात बाकी 90% के मेडिकल और क्लिनिक धारक ऐसे है जो बिना किसी डिग्री व बिना किसी लाइसेंस की अपनी दुकाने संचालित किये हुये है मन्थली कमीश्न ने इन जिम्मेंदारो पर गहरी काली पट्टी चढा रखी है जो जानकारी में होने के बावजूद भी कार्यवाही करने में असमर्थ रहते है पहले तो ऐसा होता था कि दुकान दुकान पर इन जिम्मेंदारो के दलाल खुद वसूली करते लेते थे परन्तु अब इनका एक ग्रुप बन गया है जो खुद ग्रुप के ठेकेदार सभी झोलाछापो से वसूली कर खुद पहुचाने का काम करते है कभी कभार मीडिया के जरिये इनकी जानकारी भी दी जाती है तो ये जिम्मेंदार उसको ही फसाने की साजिश में लग जाते और कभी कभार उस षड्यंत्र में ये जिम्मेंदार कामयाब भी हो जाते है भोला भाला पत्रकार इनका शिकार हो जाता है और दूसरे पत्रकारो की हिम्मत नही होती है की ऐसी खबर कवरेज करके हकीकत क्या है उससे रूबरू करवाये,
अब सवाल यह है कि

अगर यह शब्द असत्य है तो जिले में अवैध मेडिकल क्लिनिको पर जांच क्यो नही होती

लगभग मेडिकलो में नशीली पदार्थो की क्रय बिक्रय अत्यधिक होता है और खुलाशा होने के बावजूद भी ऐसे लोगो पर कार्यवाही क्यो नही होती

यदी अगर जिम्मेंदारो की मिलीभगत नही है तो सरकारी पोस्ट पर नियुक्त होने के बावजूद भी निजी क्लिनिक संचालित क्यो है

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