कृषकों की आय दुगनी करने मंे सहायक है ताइवान पिंक अमरूद की खेती
बहराइच 18 अक्टूबर। ताइवान पिंक अमरूद की विशेषता और कृषकों की आय दुगनी करने के उद्देश्य से उद्यान विभाग, बहराइच ने 02 वर्षों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत भारत सरकार एवं राज्य सरकार की मंशानुरूप कृषकों की आय दुगनी करने के उद्देश्य से ग्राम जादौपुर, गजपतिपुर, वि0ख0-तेजवापुर, ग्राम-सोहरवा, रायपुर, वि0ख0-चित्तौरा, ग्राम-वैवाही, वि0ख0-बलहा, ग्राम-रामपुर धोबिायाहार वि0ख0-शिवपुर आदि ग्रामों में लगभग 20775 पौधों का रोपण कृषक प्रक्षेत्रों पर कराया है। इसकी खेती से कम लागत और कम समय में अन्य फसल की अपेक्षा कृषकों को कई गुना अधिक लाभ प्राप्त हो रही है। आर0के0वर्मा, योजना प्रभारी ने बताया कि जनपद बहराइच में अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर होती है, परन्तु ताइवान पिंक अमरूद की विशेषता के दृष्टिगत जनपद के कृषक इसकी खेती बढ़-चढ़कर कर रहें है। विभाग द्वारा कृषकों को योजनान्तर्गत जारी दिशा-निर्देशानुसार अनुदानित भी किया जा रहा है।
यह जानकारी देते हुए योजना प्रभारी आर.के. वर्मा ने बताया कि ताइवान पिंक अमरूद की विशेषता यह है कि इसका पौधा एक फिट की ऊँचाई पर फल देने लगता है। इसके पौधे में बारह महीने फूल और फल लगते हैं। पौधा लगाने के 6 महीने बाद इसमें फल आने शुरू होते हैं और एक बीघा की खेती कर सालाना 7 लाख रूपये तक कमा सकते हैं। सर्दियों के मौसम में यदि अमरूद नही खाए तो समझो कुछ नहीं खाया। आजकल अमरूदों में भी कई प्रकार की किस्में आती हैं। जिनमें ताइवान पिंक अमरूद का अत्यधिक प्रचलन हे। यह जनपद बहराइच में किसानों के लिए कमाई का अच्छा जरिया बनता जा रहा है। कई राज्यों में इसके उन्नत किस्मों की खेती हो रही है और किसानों को बहुत कम मेहनत और पैसे में अच्छा मुनाफा दे रही है।
ताइवान अमरूद बारहमासी किस्म का होता है। पेड़ के एक वर्ष का होने पर फल आने लगते हैं और एक साल में कम से कम तीन बार फल लगते हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार एक पेड़ में लगभग तीस किलों अमरूद लगते हैं। एक बीघा खेत में ताइवान अमरूद के 500 पौधे लगाये जा सकते हैं। जिससे साल भर में डेढ़ सौ क्विंटल तक की उपज होगी। यदि आपका फल बाजार में 30 रूपये किलों तक बिकता है तो साल में लगभग 07 लाख रूपये तक कमाई हो सकती है।
पिंक अमरूद बेहद उन्नत और आधुनिक किस्म मानी जाती है। इसकी विशेषता यह है कि इसका पौधा एक फिट की ऊॅचाई पर फल देने लगता है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि इसके पौधे बार महीने फूल और फल लगते हैं। पौधे लगाने के 6 माह बाद फल आने शुरू होते हैं। इसका फल आकार में बड़ा होेता है। जिसका वजन लगभग 150 से 500 ग्राम तक हो सकता है। इसका कच्चा फल भी खाने योग्य होता है जो पकने के बाद अन्दर से गुलाबी रंग का हो जाता है।
पिंक अमरूद की खेती करने लिए 1.5 गुणा 3 के माडल की आवश्यकता होती है। दौ पौधांें के बीच की दूरी लगभग 2.5 फिट और पंक्तियों के बीच की दूरी 3 फीट रखना जरूरी है। एक बीघा में इसके 450 से 500 पौधे तक आसानी से लगाये जा सकते हैं। मिट्टी गोबर की जैविक खाद के साथ-साथ डी.ए.पी. खाद मिलाने से बेहतर परिणाम सामने आते हैं।
इस किस्म मेें अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए तने के स्थान पर शाखाओं को अधिक विकसित करने की जरूरत होती है। वास्तव में इसकी एक डाल पर 8 से 10 गुच्छों में फल और फल लगते हैं। इसके जिनती अधिक शाखायें होगीं उतने ही अधिक फल मिलेंगे। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए एक साल में एक पोधें में 150 से अधिक शाखायें विकसित करनी होती हैं और पौधे की ऊँचाई 6 फीट तक करना अधिक उत्तम रहता है।
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