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Saturday, May 10, 2025 1:43:41 AM

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किसान सभा ने 5 घंटे तक रोका रेल कॉरिडोर का काम, 23 को पेडों का मुआवजा देने की घोषणा की प्रशासन ने

किसान सभा ने 5 घंटे तक रोका रेल कॉरिडोर का काम, 23 को पेडों का मुआवजा देने की घोषणा की प्रशासन ने

 

कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेतृत्व में कल 20 जनवरी को पुरैना मड़वाढोढा के पास तीन गांवों के आक्रोशित ग्रामीणों ने मिलकर गेवरा-पेंड्रा रोड रेल कॉरिडोर निर्माण का काम रूकवा दिया और अपनी अधिग्रहित जमीन और पेड़ों के मुआवजे की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। किसानों के उग्र तेवर को देखते हुए रेल कॉरिडोर के लिए मिट्टी पाटने का काम बंद हो गया था, जिसके बाद दीपका तहसीलदार रवि राठौर कटघोरा के नायब तहसीलदार और बांकी थाना प्रभारी के साथ मौके पर पहुंचे। तहसीलदार रवि राठौर ने प्रभावित किसानों को आश्वासन दिया कि सोमवार को पेडों का मुआवजा सभी किसानों को मिल जाएगा और जिनकी जमीन अधिग्रहण के समय छूट गई थी, उनका जल्द पत्रक प्रकाशन कर मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। तहसीलदार के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ।

 

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा कोयला ढुलाई को आसान बनाने के लिए गेवरा-पेंड्रा रोड रेल कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों की हजारों हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिनमें से अधिकांश आदिवासी, दलित और कमजोर तबके से जुड़े हैं।

 

प्रभावित किसान शिवरतन, मोहपाल सिंग, अजित सिंह, जगदीश, भैया राम ने आरोप लगाया है कि उनकी अधिग्रहित जमीन और पेड़ों का मुआवजा उन्हें अभी तक मिला नहीं है और कार्यालयों का चक्कर काट-काट कर वे थक चुके हैं। उन्होंने बताया कि कुछ माह पूर्व भी इसी मुद्दे पर किसान सभा ने आंदोलन किया था, जिसके बाद प्रभावित किसानों की जमीन नापी गई थी और पेड़ों की गिनती की गई थी। लेकिन प्रशासन द्वारा शीघ्र मुआवजा देने का आश्वासन आज तक पूरा नहीं हुआ है।

 

किसान सभा के कोरबा जिला के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर और सचिव प्रशांत झा ने आरोप लगाया है कि मुआवजा के लिए किसानों ने कई बार जिला प्रशासन और रेल प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन आज तक समस्या का निराकरण नहीं किया गया है। जिले में उद्योगों और अन्य शासकीय योजना के नाम पर किसानों को बिना मुआवजा और सुविधा के बेदखल करने का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन किसान सभा किसानों के साथ खड़ी है और जहां भी किसानों के अधिकारों को छीनने का प्रयास होगा, वहाँ संघर्ष तेज होगा।

 

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